उत्तर प्रदेश की बरेली पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान को गिरफ़्तार कर लिया है.
पुलिस के अनुसार, यह गिरफ़्तारी बरेली में 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर को लेकर हुए प्रदर्शन के हिंसा में बदलने को लेकर हुई है.
बरेली पुलिस का कहना है कि इस मामले में आठ लोगों को गिरफ़्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और कुल 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
उत्तर प्रदेश के बरेली में जुमे की नमाज़ के बाद लोग 'आई लव मोहम्मद' लिखे पोस्टर लेकर सड़कों पर निकले, जो पुलिस के मुताबिक हिंसक झड़पों में बदल गया. प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी.
पुलिस ने क्या बताया?
बरेली ज़िले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अनुराग आर्य और ज़िलाधिकारी अविनाश सिंह ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर जुमे की नमाज़ के बाद हुई हिंसा से जुड़ी जानकारी दी है.
एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि जुमे की नमाज़ के बाद अलग-अलग थानों में कुछ लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किए जिसके बाद पुलिस ने कठोर कार्रवाई की है.
पत्रकारों से बातचीत में एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया, "अब तक हम लोगों ने कुल 10 एफ़आईआर दर्ज की हैं. थाना कोतवाली में पांच एफ़आईआर दर्ज हुई हैं. थाना बारादरी में दो एफ़आईआर दर्ज की गई हैं. थाना किलानगर और कैंट में एक-एक एफ़आईआर दर्ज की गई है."
एसएसपी के मुताबिक़, "इन दर्ज एफ़आईआर में अब तक घटना में शामिल कुल आठ अभियुक्तों को गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया है."
उन्होंने बताया कि प्रमुख एफ़आईआर थाना कोतवाली की है जिसमें कई बीएनएस की कई धाराओं के साथ-साथ सार्वजनिक संपत्ति नुक़सान निवारण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की गई है.

एसएसपी अनुराग आर्य के मुताबिक़ "भीड़ को समझाने बुझाने की कोशिश की गई. इसके बावजूद भीड़ ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और बैरिकेडिंग तोड़कर इस्लामिया कॉलेज पहुंचने की कोशिश की. पुलिस पर भी हमला किया गया."
उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया, "वहां से भारी मात्रा में ईंट-पत्थर के टुकड़े, भारी मात्रा में चप्पल-जूते, ज़िंदा कारतूस, 12 बोर का एक तमंचा जो किसी के हाथ से भगदड़ के दौरान गिर गया था, अवैध चाकू, लाठी- डंडे और कांच की बोतलों के टुकड़े मिले हैं, जिनसे पेट्रोल की बदबू आ रही है."
पुलिस के अनुसार इन आठ लोगों के अलावा कुल 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है. गिरफ्तार किए गए आठ लोगों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
एसएसपी ने बताया कि पुलिस पूछताछ कर रही है और जानने की कोशिश कर रही है कि कौन उनके साथ लगातार संपर्क में था और उन्हें कौन उकसा रहा था, जिनके मोबाइल फ़ोन रिकवर किए गए हैं, उनकी जांच जारी है.
इससे पहले बरेली पुलिस ने इसे लेकर एक बयान जारी किया है और कहा है कि "कुछ उपद्रवियों ने पुलिस से अभद्रता की और पथराव किया" जिसके बाद पुलिस ने "न्यूनतम बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर करने" की कोशिश की.
डीएम अविनाश सिंह ने कहा, "हमें उनकी योजना की जानकारी मिली थी और हमने उन्हें बताया कि शहर में बीएनएस की धारा 163 लागू है और बिना अनुमति कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता. हम उनके प्रतिनिधियों के साथ लगातार संपर्क में थे. कुछ दिन पहले वह हमारे कैंप कार्यालय आए थे, हमने उनके साथ विस्तृत बैठक की और उन्हें सभी क़ानूनी पहलुओं के बारे में बताया था."
उन्होंने बताया, "उसके एक दिन बाद मौलाना (तौकीर रज़ा ख़ान) भी उन प्रतिनिधियों के साथ हमारे कैंप कार्यालय आए. चर्चा के दौरान मैंने साफ़ कहा कि बीएनएस की धारा 163 लागू है. हमें अगले दिन तक उनकी तरफ़ से सकारात्मक प्रतिक्रिया का लगातार आश्वासन मिलता रहा. हमारी आख़िरी बैठक के एक दिन बाद हमें नदीम और नफीज़ के हस्ताक्षर वाले पत्र मिला जिसमें लिखा था कि वे अपनी योजना आगे नहीं बढ़ाएँगे."
"अगले दिन सुबह मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान ने एक वीडियो संदेश जारी किया और कहा कि हस्ताक्षर वाला काग़ज़ और सब कुछ फ़र्ज़ी है और वह पहले की अपनी योजना के अनुसार आगे बढ़ेंगे. जुमे नमाज़ ख़त्म हुई तो 80 से 90 फ़ीसदी लोग अपने घरों को लौट गए. लेकिन कुछ लोग नमाज़ के बाद वहीं रुके रहे और इकट्ठा होकर इस्लामिया इंटर कॉलेज की ओर जाने की कोशिश करने लगे. जब उन्होंने क़ानून हाथों में लेने और शांति भंग करने की कोशिश की तो पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया."

वहीं बरेली रेंज के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा कि "स्थिति फिलहाल कंट्रोल में है. पहले लगातार व्हाट्सऐप ग्रुप से चीज़ें जारी की गई हैं, फिर उनका खंडन किया गया. लोगों को अलग-अलग चीज़ें भेजी गई हैं, मैसेज कर के लोगों को भड़काया गया है."
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी.
उन्होंने कहा, "जो लोग मौक़े पर पहुंचे थे उनके पास से भारी मात्रा में वेपन्स, पहले से ही भारी मात्रा में चीज़ें बरामद हुई हैं. पथराव किया गया है. इन सारे तथ्यों को देखते हुए लगता है कि यह पूर्व नियोजित था और पहले से तैयारी कर के चीज़ें की गई थीं."
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लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, "आपने देखा होगा शुक्रवार को बरेली के अंदर, वह मौलाना भूल गया कि शासन किसका है."
उन्होंने कहा, "वह यह मानता था कि धमकी देंगे और हम ज़बरदस्ती जाम कर देंगे. हमने कहा 'जाम नहीं होगा और कर्फ़्यू भी नहीं लगेगा, लेकिन कर्फ़्यू का सबक ऐसा सिखा देंगे कि तुम्हारी आने वाली पीढ़ी दंगा करना भूल जाएगी'."
मुख्यमंत्री ने यूपी की पिछली सरकार पर तंज़ कसते हुए कहा, "2017 के पहले यूपी के अंदर यही होता था. हम कह सकते हैं कि 2017 के बाद हमने कर्फ़्यू भी नहीं लगने दिया."
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा 2027 में प्रदेश में चुनाव हैं और इसे मुद्दा बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, "हमारे देश में बहुत सी जातियां और धर्म हैं. 'आई लव मोहम्मद' लिखो, 'आई लव गणेश जी' लिखो, 'आई लव भगवान राम' लिखो, इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. आपके याद रखना चाहिए कि 2027 में उत्तर प्रदेश का चुनाव है, वहां कोई मुद्दा नहीं है तो योगी आदित्यनाथ इसे मुद्दा बना रहे हैं. यही है मुद्दा हिंदू-मुस्लिम विभाजन की राजनीति."
उन्होंने कहा, "वहां विकास नहीं है, नौकरी नहीं है, पेपर लीक होता है, सबकुछ जो नहीं होने चाहिए वो हो रहा है. जो भी मुस्लिम वहां विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि पुलिस प्रशासन के नियमों का पालन करें और कुछ ग़लत न करें."
वहीं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि मस्जिदें नमाज़ पढ़ने के लिए होती हैं. ये ट्रेंड ग़लत है कि जुमे की नमाज़ के बाद इस तरह का प्रदर्शन हो.
आई लव मोहम्मद वाले पोस्टर्स पर उन्होंने कहा, "मुसलमान के दिल के अंदर मोहम्मद का प्यार है. यह ज़िंदगी का उसूल है इसे दिखाने की ज़रूरत नहीं है. ऐसा नहीं है कि यह दिखाएंगे तभी समझ में आएगा. इस तरह हंगामा कर के कुछ हासिल होता हो तो बता दें."
उन्होंने कहा, "मैं मुसलमान समुदाय के लोगों से अपील करता हूं कि यह नफ़रत हमें जलाकर ख़ाक कर देगी, इस तरह के प्रदर्शनों से परहेज़ करें."
क्या है मामला?दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफ़ात (ईद मिलाद-उन-नबी) के मौक़े पर 'आई लव मोहम्मद' का बैनर लगाने को लेकर विवाद हुआ था. इससे जुड़ी एफ़आईआर के बाद उत्तर प्रदेश और देश के कई शहरों में मुसलमानों ने प्रदर्शन किए थे.
मगर बरेली में जुमे की नमाज़ के बाद 'आई लव मोहम्मद' प्रदर्शन हिंसक झड़पों में बदल गया.
'आई लव मोहम्मद' के प्लेकार्ड लेकर आला हज़रात दरगाह और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल प्रमुख मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान की अपील पर बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे. प्रशासन का कहना है कि इसकी अनुमति नहीं दी गई थी.
भीड़ शहर के ख़लील तिराहे से इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान की ओर बढ़ी तो पुलिस ने रोकने की कोशिश की और पथराव, झड़प और लाठीचार्ज की घटनाएं हुईं.
पुलिस के मुताबिक़, इस दौरान फ़ायरिंग भी हुई और पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हुए.
सरकार की तरफ़ से मंत्रियों ने हिंसक प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही, वहीं विपक्ष ने लाठीचार्ज को बर्बर और निंदनीय बताया था.
बीबीसी हिन्दी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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