लाइव हिंदी खबर :- श्री जगन्नाथ मंदिर के सेवायत सरत पुजारी ने भगवान जगन्नाथ से जुड़े एक विशेष अनुष्ठान बनाक लगी में प्रयुक्त दुर्लभ पदार्थ (कस्तूरी) की महत्ता पर जानकारी दी। सरत पुजारी ने बताया कि मस्क एक खास प्रकार के जंगली जानवर से प्राप्त होता है, जो नेपाल के कैलाश-मानसरोवर क्षेत्र में पाया जाता है।
इसके नाभि क्षेत्र से जो मस्क निकलता है, उसे कस्तूरी मुरुगा कहा जाता है। यही कस्तूरी भगवान जगन्नाथ के बनाक लगी अनुष्ठान में इस्तेमाल की जाती है। जिसमें प्रभु के मुखमंडल को अलंकृत किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह कस्तूरी बेहद दुर्लभ और कीमती होती है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार इससे मंदिर के वातावरण में पवित्रता और दिव्यता का संचार होता है। पुरी जगन्नाथ मंदिर की यह परंपरा सदियों पुरानी है। बनाक लगी सेवा में प्रभु जगन्नाथ के मुख पर चंदन, कपूर और कस्तूरी का लेप लगाया जाता है।
माना जाता है कि इससे न केवल भगवान का सौंदर्य निखरता है, बल्कि वातावरण में भी एक आध्यात्मिक आभा फैलती है। मंदिर प्रशासन के अनुसार इस अनुष्ठान के लिए प्रयुक्त कस्तूरी को विशेष अनुमति और पारंपरिक स्रोतों से लिया जाता है। क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से बेहद सीमित मात्रा में उपलब्ध होती है। भक्तों का विश्वास है कि कस्तूरी मुरुगा के बिना बनाक लगी सेवा अधूरी मानी जाती है और यही कारण है कि इसे भगवान जगन्नाथ की आराधना में अत्यंत पवित्र तत्व माना जाता है।
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