अंतरराष्ट्रीय मंच पर लंबे समय से विवादों में घिरे सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक (TikTok) के भविष्य को लेकर एक बड़ा कदम सामने आया है। चीन ने हाल ही में उस समझौते को मंजूरी दे दी है, जो अमेरिका के साथ टिकटॉक के संचालन को लेकर लंबित था। इस निर्णय से दोनों देशों के बीच तकनीकी और व्यापारिक तनाव में राहत की उम्मीद जताई जा रही है।
अमेरिका की ओर से टिकटॉक को लेकर सुरक्षा चिंताएँ पिछले कई वर्षों से बनी हुई थीं। अमेरिकी प्रशासन का कहना था कि चीन की कंपनी बाइटडांस (ByteDance) के स्वामित्व में होने के कारण टिकटॉक से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, क्योंकि इससे अमेरिकी नागरिकों का डेटा लीक होने की आशंका बनी रहती है। यही कारण था कि वाशिंगटन ने कंपनी पर दबाव बनाया कि वह अमेरिकी कारोबार को किसी स्थानीय साझेदार या कंपनी को बेच दे।
अब खबर यह है कि चीन ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जिसके बाद टिकटॉक की अमेरिकी इकाई का संचालन एक अमेरिकी स्वामित्व वाले ढांचे के तहत किया जाएगा। इस डील को लेकर कई दौर की बातचीत पहले ही पूरी हो चुकी थी, लेकिन चीन की स्वीकृति का इंतजार था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल टिकटॉक के लिए राहत भरा है बल्कि अमेरिका-चीन के बीच जटिल रिश्तों में एक “सकारात्मक संकेत” भी है।
अमेरिका की सुरक्षा चिंता और चीन का रुख
अमेरिका का आरोप था कि टिकटॉक के जरिए चीनी सरकार उपयोगकर्ताओं के डेटा तक पहुंच सकती है। हालांकि, कंपनी ने इन आरोपों को हमेशा खारिज किया और कहा कि वह डेटा को अमेरिका के सर्वर पर ही स्टोर करती है। चीन ने भी बार-बार कहा है कि टिकटॉक एक स्वतंत्र कंपनी है और उसका सरकारी नियंत्रण से कोई संबंध नहीं है।
बीते महीनों में अमेरिकी संसद में इस ऐप को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव तक पेश किया गया था। इसके बाद टिकटॉक ने एक ‘डेटा ट्रांसपेरेंसी प्रोजेक्ट’ शुरू किया, जिसमें यह बताया गया कि उसका अमेरिकी यूजर डेटा अब अमेरिकी कंपनी Oracle के सर्वर पर सुरक्षित रहेगा।
आर्थिक और राजनीतिक असर
यह डील न केवल तकनीकी दृष्टि से, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अहम मानी जा रही है। टिकटॉक दुनिया के सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में से एक है, जिसके अमेरिका में लगभग 15 करोड़ से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। यदि ऐप पर प्रतिबंध लगता, तो हजारों अमेरिकी क्रिएटर्स और छोटे व्यवसाय प्रभावित होते।
विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता दोनों देशों के बीच चल रहे “टेक कोल्ड वॉर” में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। यह संकेत देता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आपसी निर्भरता के बीच पूर्ण अलगाव संभव नहीं है।
आगे की राह
हालाँकि, अभी भी कुछ बिंदु स्पष्ट नहीं हैं। ऐप के एल्गोरिदम और डेटा ट्रांसफर से जुड़े तकनीकी नियमों को लेकर दोनों देशों के अधिकारी अंतिम रूप देने में जुटे हैं। अगर सब कुछ तय योजना के अनुसार हुआ, तो आने वाले हफ्तों में टिकटॉक अमेरिका में पहले की तरह संचालन जारी रख सकेगा, बिना किसी कानूनी बाधा के।
टिकटॉक की इस सफलता से अन्य चीनी तकनीकी कंपनियों को भी राहत मिल सकती है, जिन पर अमेरिका ने हाल के वर्षों में सख्ती दिखाई है। फिलहाल, इस डील को चीन-अमेरिका के बीच “डिजिटल तनाव में नरमी” की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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