H-1B Fees Impact: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने ऐलान किया कि अब H-1B वीजा की फीस 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दी गई है। बढ़ी हुई फीस ने उन अमेरिकी कंपनियों की कमर तोड़कर रख दी, जो विदेशों से स्किल वर्कर्स को हायर करती हैं। अब अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशों से हायरिंग करना महंगा हो चुका है। ट्रंप के फैसले से खुद उनकी रिपब्लिकन पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद काफी टेंशन में हैं। उन्होंने बढ़ी फीस से अमेरिका को होने वाले नुकसान भी बताए हैं।
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रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सात सांसदों ने व्हाइट हाउस और डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप और कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक से गुजारिश की है कि वे H-1B वीजा की याचिकाओं के लिए तय की गई 1 लाख डॉलर की नई फीस पर दोबारा से विचार करें। इस चिट्ठी को सुहास सुब्रमण्यम, सैम टी. लिकार्डो, जे ओबरनोल्टे, मारिया एलविरा सालाजार, डॉन बेकन और ग्रेग स्टैंटन जैसे सांसदों ने लिखा है। अब ये देखना है कि कि क्या ट्रंप का कलेजा पिघलता है और वह अपने फैसले को बदलते हैं या नहीं।
ट्रंप से क्या कहा गया?
सांसदों ने अपनी चिट्ठी में तर्क दिया है कि बढ़ी हुई फीस से वीजा सिस्टम का दुरुपयोग नहीं रुकेगा, बल्कि ये इनोवेशन को प्रभावित करेगा। इससे स्टार्टअप्स को नुकसान पहुंचेगा और ये भारत समेत कई देशों से आने वाले हाई स्किल वाले वर्कर्स को बाहर कर देगा। उन्होंने लिखा, 'हम इस बात से सहमत हैं कि H-1B वीजा प्रोग्राम में सुधार किया जा सकता है। इस वीजा सिस्टम में अमेरिका के मूल्यों और वर्कफोर्स के साथ बेहतर ढंग से तालमेल बैठाने के लिए सुधार की जरूरत है। हमें ये भी चिंता है कि वीजा फीस बढ़ाने का फैसला कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा करने के साथ प्रतिस्पर्धा में हमें कमजोर करेगा।'
सांसदों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी कंपनियों को जरूरी टैलेंट नहीं मिल पाता, तो कई हाई स्किल वर्कर्स भारत, चीन, इजरायल या यूरोप जैसे देशों में वापस लौटकर ऐसी कंपनियां शुरू कर सकते हैं जो सीधे अमेरिकी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि वीजा फीस बढ़ाने के फैसले की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचने वाला है।
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रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के सात सांसदों ने व्हाइट हाउस और डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप और कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक से गुजारिश की है कि वे H-1B वीजा की याचिकाओं के लिए तय की गई 1 लाख डॉलर की नई फीस पर दोबारा से विचार करें। इस चिट्ठी को सुहास सुब्रमण्यम, सैम टी. लिकार्डो, जे ओबरनोल्टे, मारिया एलविरा सालाजार, डॉन बेकन और ग्रेग स्टैंटन जैसे सांसदों ने लिखा है। अब ये देखना है कि कि क्या ट्रंप का कलेजा पिघलता है और वह अपने फैसले को बदलते हैं या नहीं।
ट्रंप से क्या कहा गया?
सांसदों ने अपनी चिट्ठी में तर्क दिया है कि बढ़ी हुई फीस से वीजा सिस्टम का दुरुपयोग नहीं रुकेगा, बल्कि ये इनोवेशन को प्रभावित करेगा। इससे स्टार्टअप्स को नुकसान पहुंचेगा और ये भारत समेत कई देशों से आने वाले हाई स्किल वाले वर्कर्स को बाहर कर देगा। उन्होंने लिखा, 'हम इस बात से सहमत हैं कि H-1B वीजा प्रोग्राम में सुधार किया जा सकता है। इस वीजा सिस्टम में अमेरिका के मूल्यों और वर्कफोर्स के साथ बेहतर ढंग से तालमेल बैठाने के लिए सुधार की जरूरत है। हमें ये भी चिंता है कि वीजा फीस बढ़ाने का फैसला कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा करने के साथ प्रतिस्पर्धा में हमें कमजोर करेगा।'
सांसदों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी कंपनियों को जरूरी टैलेंट नहीं मिल पाता, तो कई हाई स्किल वर्कर्स भारत, चीन, इजरायल या यूरोप जैसे देशों में वापस लौटकर ऐसी कंपनियां शुरू कर सकते हैं जो सीधे अमेरिकी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि वीजा फीस बढ़ाने के फैसले की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचने वाला है।
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