नई दिल्ली: इन दिनों नए आईपीओ की ऊंची कीमतों को लेकर काफी चिंताएं जताई जा रही हैं। इस पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी ) के चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने साफ किया कि आईपीओ के मूल्यांकन (Valuation) तय करने में सेबी की कोई भूमिका नहीं है। पांडे ने कहा, 'हम यह तय नहीं करते कि मूल्यांकन क्या होगा। यह तो देखने वाले, यानी निवेशक की नजर में होता है।'
चेयरमैन की यह बात ऐसे समय आई है जब आईवियर रिटेलर लेंसकार्ट के 7200 करोड़ रुपये के आईपीओ को लेकर कुछ विश्लेषकों ने इसकी कीमत को बहुत ज्यादा बताया है। पांडे ने जोर देकर कहा कि सेबी आईपीओ की कीमतों में दखल नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि बाजार को अवसरों के हिसाब से कीमत तय करने पूरी आजादी होनी चाहिए। इससे पहले भी Nykaa, Paytm जैसी कंपनियों के आईपीओ के मामलों में कई स्टेकहोल्डर्स ने वैल्यूएशन पर चिंता जताई थी। पांडे ने कहा कि रेगुलेटर के नजरिए से देखें ती अत्यधिक रेगुलेटरी दखलअंदाजी को रोकने और इनोवेशन जवाबदेही को बढ़ावा देने की जरूरत है।
F&O में रिटेल भागीदारी पर रोक नहीं: FMवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार रिटेल निवेशकों (छोटे निवेशकों) को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&D) में ट्रेडिंग करने से नहीं रोक सकती। उनका यह बयान सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे के उस बयान के कुछ दिनों बाद आया है जिसमें उन्होंने निफ्टी और सेंसेक्स में वीकली डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रेक्ट्स को बंद करने से इनकार कर दिया था। मुंबई में SBI के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि निवेशकों की जिम्मेदारी है कि वे जोखिमों को अच्छी तरह समझें।
बैंक में लोकल भाषा को तवज्जो दें: निर्मलाकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों से कहा कि वे यह पक्का करें कि ब्रांच में काम करने वाले कर्मचारी स्थानीय भाषा जानते हों, ताकि ग्राहकों से उनका जुड़ाव और बेहतर हो सके। वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब स्थानीय भाषा न बोलने पर बैंक अधिकारियों को राजनीतिक दलों के गुस्से का सामना करने की कई घटनाएं सामने आई हैं। SBI के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पॉलिसी में बदलाव किए जाने चाहिए, ताकि स्थानीय भाषा जानने वाले लोगों को ही नौकरी पर रखा जाए। उनके काम का मूल्यांकन भी इसी आधार पर हो।
आईपीओ में MF, बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ीसेबी ने आईपीओ में एंकर इन्वेस्टर्स के लिए शेयर अलोकेशन के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। सेबी का कहना है कि इस कदम का मकसद म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड जैसे घरेलू इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स की भागीदारी को बढ़ाना है। नए नियमों के तहत रेगुलेटर ने एंकर हिस्से में कुल रिजर्वेशन को पहले के 33 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है। इसमें से 33 फीसदी म्यूचुअल फंड्स के लिए और बाकी 7 फीसदी बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स के लिए होगा।
चेयरमैन की यह बात ऐसे समय आई है जब आईवियर रिटेलर लेंसकार्ट के 7200 करोड़ रुपये के आईपीओ को लेकर कुछ विश्लेषकों ने इसकी कीमत को बहुत ज्यादा बताया है। पांडे ने जोर देकर कहा कि सेबी आईपीओ की कीमतों में दखल नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि बाजार को अवसरों के हिसाब से कीमत तय करने पूरी आजादी होनी चाहिए। इससे पहले भी Nykaa, Paytm जैसी कंपनियों के आईपीओ के मामलों में कई स्टेकहोल्डर्स ने वैल्यूएशन पर चिंता जताई थी। पांडे ने कहा कि रेगुलेटर के नजरिए से देखें ती अत्यधिक रेगुलेटरी दखलअंदाजी को रोकने और इनोवेशन जवाबदेही को बढ़ावा देने की जरूरत है।
F&O में रिटेल भागीदारी पर रोक नहीं: FMवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार रिटेल निवेशकों (छोटे निवेशकों) को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&D) में ट्रेडिंग करने से नहीं रोक सकती। उनका यह बयान सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे के उस बयान के कुछ दिनों बाद आया है जिसमें उन्होंने निफ्टी और सेंसेक्स में वीकली डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रेक्ट्स को बंद करने से इनकार कर दिया था। मुंबई में SBI के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि निवेशकों की जिम्मेदारी है कि वे जोखिमों को अच्छी तरह समझें।
बैंक में लोकल भाषा को तवज्जो दें: निर्मलाकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों से कहा कि वे यह पक्का करें कि ब्रांच में काम करने वाले कर्मचारी स्थानीय भाषा जानते हों, ताकि ग्राहकों से उनका जुड़ाव और बेहतर हो सके। वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब स्थानीय भाषा न बोलने पर बैंक अधिकारियों को राजनीतिक दलों के गुस्से का सामना करने की कई घटनाएं सामने आई हैं। SBI के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पॉलिसी में बदलाव किए जाने चाहिए, ताकि स्थानीय भाषा जानने वाले लोगों को ही नौकरी पर रखा जाए। उनके काम का मूल्यांकन भी इसी आधार पर हो।
आईपीओ में MF, बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ीसेबी ने आईपीओ में एंकर इन्वेस्टर्स के लिए शेयर अलोकेशन के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। सेबी का कहना है कि इस कदम का मकसद म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड जैसे घरेलू इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स की भागीदारी को बढ़ाना है। नए नियमों के तहत रेगुलेटर ने एंकर हिस्से में कुल रिजर्वेशन को पहले के 33 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है। इसमें से 33 फीसदी म्यूचुअल फंड्स के लिए और बाकी 7 फीसदी बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स के लिए होगा।
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