3 जनवरी 2026, दिन शनिवार, पौष पूर्णिमा, माघ स्नान का शुभारम्भ- पौष पूर्णिमा पर्व का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है, इस दिन से माघ मास के पवित्र स्नान का शुभारम्भ हो जाता है। संगम के पवित्र जल में प्राणदायिनी शक्ति विद्यमान है, पौष पूर्णिमा के सुअवसर पर ग्रह नक्षत्रों की विशेष स्थिति, चंद्र आदि ग्रहों के माध्यम से अमृत वर्षा कर स्नान आदि करने वालों को निरोगी काया सहित पुण्य लाभ प्रदान करती है।
15 जनवरी 2026, दिन गुरुवार, मकर संक्रांति- ‘मकर संक्रान्ति’ भारत के वैदिक कालीन पर्वों में से एक है। सूर्य के राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश का उत्सव मकर संक्रांति है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन स्नान, पुण्य, दान, जप, धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है। इस अवसर पर दिया हुआ दान ‘पुनर्जन्म’ होने पर सौ गुणा होकर प्राप्त होता है।
18 जनवरी 2026, दिन रविवार, मौनी अमावस्या- माघ मास, कृश्णपक्ष की अमावस्या, मौनी अमावस्या कहलाती है, मौनी अमावस्या, माघ के महीने का सबसे बड़ा स्नान पर्व है, मौनी अमावस्या का स्नान अन्य सभी स्नान पर्वों में सर्वोत्तम कहा गया है। मौनी अमावस्या के विषेश पुण्यकाल पर स्वयं का उद्धार तथा पितरों को तारने के लिए दान, पुण्य, स्नान का विषेश विधान षास्त्रों में वर्णित है।
23 जनवरी 2026, दिन शुक्रवार, बसंत पंचमी- बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा के पीछे कई मान्यताएं हैं। इस दिन मां सरस्वती का स्मरण, पूजन एवं मां सरस्वती के नाम से स्नान, दान कर ध्यान करने से अंतःकरण में स्थित सरस्वती जिह्वा पर विराजमान हो जाती हैं।
1 फरवरी 2026, दिन रविवार, माघी पूर्णिमा- माघ मास की पूर्णिमा अर्थात माघी पूर्णिमा माघ स्नान पर्वों की श्रृंखला का अंतिम स्नान पर्व है। वैसे तो हर पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है, पर माघी पूर्णिमा की बात ही निराली होती है। इस दिन स्नान-ध्यान करने से मनोकामनाएं तो पूर्ण होती ही हैं, साथ ही मोक्ष भी मिलता है।
15 फरवरी 2026, दिन रविवार, महाशिवरात्रि- शिव और शक्ति की समन्वित ऊर्जा महाशिवरात्रि पर भक्तों का कल्याण करती है। मानव शरीर के भीतर शिव और शक्ति दोनों तत्व उपस्थित हैं, इनको एकाकार करने के लिए महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती का स्मरण कर स्नान, ध्यान, पूजन, उपासना, व्रत करना अनिवार्य है।
15 जनवरी 2026, दिन गुरुवार, मकर संक्रांति- ‘मकर संक्रान्ति’ भारत के वैदिक कालीन पर्वों में से एक है। सूर्य के राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश का उत्सव मकर संक्रांति है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन स्नान, पुण्य, दान, जप, धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है। इस अवसर पर दिया हुआ दान ‘पुनर्जन्म’ होने पर सौ गुणा होकर प्राप्त होता है।
18 जनवरी 2026, दिन रविवार, मौनी अमावस्या- माघ मास, कृश्णपक्ष की अमावस्या, मौनी अमावस्या कहलाती है, मौनी अमावस्या, माघ के महीने का सबसे बड़ा स्नान पर्व है, मौनी अमावस्या का स्नान अन्य सभी स्नान पर्वों में सर्वोत्तम कहा गया है। मौनी अमावस्या के विषेश पुण्यकाल पर स्वयं का उद्धार तथा पितरों को तारने के लिए दान, पुण्य, स्नान का विषेश विधान षास्त्रों में वर्णित है।
23 जनवरी 2026, दिन शुक्रवार, बसंत पंचमी- बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा के पीछे कई मान्यताएं हैं। इस दिन मां सरस्वती का स्मरण, पूजन एवं मां सरस्वती के नाम से स्नान, दान कर ध्यान करने से अंतःकरण में स्थित सरस्वती जिह्वा पर विराजमान हो जाती हैं।
1 फरवरी 2026, दिन रविवार, माघी पूर्णिमा- माघ मास की पूर्णिमा अर्थात माघी पूर्णिमा माघ स्नान पर्वों की श्रृंखला का अंतिम स्नान पर्व है। वैसे तो हर पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है, पर माघी पूर्णिमा की बात ही निराली होती है। इस दिन स्नान-ध्यान करने से मनोकामनाएं तो पूर्ण होती ही हैं, साथ ही मोक्ष भी मिलता है।
15 फरवरी 2026, दिन रविवार, महाशिवरात्रि- शिव और शक्ति की समन्वित ऊर्जा महाशिवरात्रि पर भक्तों का कल्याण करती है। मानव शरीर के भीतर शिव और शक्ति दोनों तत्व उपस्थित हैं, इनको एकाकार करने के लिए महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती का स्मरण कर स्नान, ध्यान, पूजन, उपासना, व्रत करना अनिवार्य है।
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