रांची: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी की लंदन में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय वर्ल्ड ट्रैवल मार्केट 2025 में शामिल होने की योजना रद्द हो गई है। इसका कारण कथित तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कोलकाता उच्च न्यायालय में की गई एक 'प्रतिकूल टिप्पणी' है, जिसके बाद कोर्ट ने उनका ज़ब्त पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया।
पासपोर्ट विवाद और अदालती प्रक्रिया
इरफ़ान अंसारी का पासपोर्ट दो साल पहले ज़ब्त कर लिया गया था। यह कार्रवाई जुलाई 2022 में उनकी गिरफ्तारी के बाद हुई थी, जब उन्हें और दो अन्य कांग्रेस विधायकों (राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़) को 50 लाख रुपये नकद के साथ हावड़ा में पकड़ा गया था। उन पर रांची में दर्ज एक ज़ीरो एफआईआर के आधार पर हेमंत सोरेन सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था।
1 से 15 नवंबर तक विदेश यात्रा की थी योजना
अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में झारखंड सरकार से मंज़ूरी मिलने के बाद, अंसारी ने 1 से 15 नवंबर तक विदेश यात्रा के लिए अपना ज़ब्त पासपोर्ट अस्थायी रूप से जारी करने के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
इरफ़ान अंसारी के अनुरोध के जवाब में, बंगाल सरकार ने अदालत में कथित तौर पर यह तर्क दिया कि "हो सकता है कि वह वापस न लौटें"। इसी तर्क के आधार पर, कोलकाता उच्च न्यायालय ने उन्हें पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया।
इरफ़ान अंसारी ने प्रक्रियागत चूक करार दिया
मंत्री इरफ़ान अंसारी ने इस घटना को अपनी ओर से "एक प्रक्रियागत चूक" बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें अदालत जाने से पहले राज्य सरकार की मंज़ूरी के बाद भारत सरकार से भी मंज़ूरी लेनी चाहिए थी। शायद यही वजह है कि अदालत ने मना कर दिया।" उन्होंने स्वीकार किया कि अब उन्हें अपनी विदेश यात्रा की योजना टालनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि उनके विरोधी जानबूझकर अफ़वाहें फैला रहे हैं और राजनीतिक मतभेद पैदा करने के लिए इस मामले को तूल दे रहे हैं।" उन्होंने कहा कि उनकी कानूनी टीम मामले को संभाल लेगी।
2023 में, झारखंड उच्च न्यायालय ने अंसारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था, लेकिन बंगाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है। चल रहे मुक़दमे के कारण, अंसारी का पासपोर्ट अभी भी कोलकाता की अदालत में ज़ब्त है।
पासपोर्ट विवाद और अदालती प्रक्रिया
इरफ़ान अंसारी का पासपोर्ट दो साल पहले ज़ब्त कर लिया गया था। यह कार्रवाई जुलाई 2022 में उनकी गिरफ्तारी के बाद हुई थी, जब उन्हें और दो अन्य कांग्रेस विधायकों (राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़) को 50 लाख रुपये नकद के साथ हावड़ा में पकड़ा गया था। उन पर रांची में दर्ज एक ज़ीरो एफआईआर के आधार पर हेमंत सोरेन सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था।
1 से 15 नवंबर तक विदेश यात्रा की थी योजना
अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में झारखंड सरकार से मंज़ूरी मिलने के बाद, अंसारी ने 1 से 15 नवंबर तक विदेश यात्रा के लिए अपना ज़ब्त पासपोर्ट अस्थायी रूप से जारी करने के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
इरफ़ान अंसारी के अनुरोध के जवाब में, बंगाल सरकार ने अदालत में कथित तौर पर यह तर्क दिया कि "हो सकता है कि वह वापस न लौटें"। इसी तर्क के आधार पर, कोलकाता उच्च न्यायालय ने उन्हें पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया।
इरफ़ान अंसारी ने प्रक्रियागत चूक करार दिया
मंत्री इरफ़ान अंसारी ने इस घटना को अपनी ओर से "एक प्रक्रियागत चूक" बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें अदालत जाने से पहले राज्य सरकार की मंज़ूरी के बाद भारत सरकार से भी मंज़ूरी लेनी चाहिए थी। शायद यही वजह है कि अदालत ने मना कर दिया।" उन्होंने स्वीकार किया कि अब उन्हें अपनी विदेश यात्रा की योजना टालनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि उनके विरोधी जानबूझकर अफ़वाहें फैला रहे हैं और राजनीतिक मतभेद पैदा करने के लिए इस मामले को तूल दे रहे हैं।" उन्होंने कहा कि उनकी कानूनी टीम मामले को संभाल लेगी।
2023 में, झारखंड उच्च न्यायालय ने अंसारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था, लेकिन बंगाल सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है। चल रहे मुक़दमे के कारण, अंसारी का पासपोर्ट अभी भी कोलकाता की अदालत में ज़ब्त है।
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