नई दिल्ली: हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और भारतीय मूल के ब्रिटिश अरबपति गोपीचंद हिंदुजा का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। लंदन के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह कई हफ्तों से बीमार चल रहे थे। बिजनेस सर्किल में उन्हें 'जीपी' के नाम से जानते थे। यह दुखद खबर मंगलवार को टोरी पीयर (ब्रिटिश हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य) रामी रेंजर ने दी। रेंजर ने एक भावुक श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जीपी हिंदुजा बहुत ही दयालु, विनम्र और वफादार दोस्त थे। उन्होंने कहा कि हिंदुजा के जाने से एक युग का अंत हो गया है।
गोपीचंद हिंदुजा हिंदुजा ग्रुप के प्रमुख थे। यह एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय समूह है। यह समूह कई तरह के व्यवसायों में फैला हुआ है। इसमें ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, रसायन, ऊर्जा, मीडिया और रियल एस्टेट शामिल हैं। हिंदुजा ग्रुप का भारत और दुनिया भर में मजबूत प्रभाव रहा है। गोपीचंद हिंदुजा ने अपने नेतृत्व से ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके निधन से व्यापार जगत में एक बड़ी क्षति हुई है।
कितनी दौलत के मालिक?
गोपीचंद हिंदुजा मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद ग्रुप के चेयरमैन बने थे। उनकी गिनती ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति के तौर पर होती रही है। हाल में गोपीचंद हिंदुजा और उनके परिवार ने ब्रिटेन की संडे टाइम्स रिच लिस्ट में शीर्ष स्थान हासिल किया था। 18 मई, 2025 को जारी हुई इस सूची के अनुसार, उनके परिवार की कुल संपत्ति 33,67,948 करोड़ रुपये थी, जो दूसरे स्थान पर रहे डेविड और साइमन रीबेन परिवार से 8,042 करोड़ रुपये अधिक थी। यह उपलब्धि तब हासिल हुई जब उनकी संपत्ति में थोड़ी गिरावट आई थी। फोर्ब्स की रियल टाइम नेटवर्थ के अनुसार, मंगलवार तक हिंदुजा परिवार की कुल संपत्ति 20.6 अरब डॉलर (1,82,668 करोड़ रुपये) है।
बेहद बड़ा है कारोबारी साम्राज्यहिंदुआ परिवार लंदन में महत्वपूर्ण रियल एस्टेट संपत्तियों का मालिक है। इसमें व्हाइटहॉल की ऐतिहासिक ओल्ड वॉर ऑफिस बिल्डिंग में स्थित रैफल्स लंदन होटल भी शामिल है। गोपीचंद हिंदुजा ने 1959 में मुंबई के जय हिंद कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर से मानद डॉक्टरेट ऑफ लॉ और रिचमंड कॉलेज, लंदन से मानद डॉक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स से सम्मानित किया गया। परिवार के सदस्य अलग-अलग जगहों से अपने कारोबार को संभालते हैं। गोपीचंद लंदन में रहते थे। जबकि उनके छोटे भाई प्रकाश मोनाको में रहते हैं और सबसे छोटे भाई अशोक मुंबई से भारत में कंपनी के हितों का प्रबंधन करते हैं। गोपीचंद के नेतृत्व में ग्रुप ने 1984 में गल्फ ऑयल का अधिग्रहण किया और तीन साल बाद अशोक लेलैंड को अपने कब्जे में लिया। यह भारत में किसी एनआरआई (NRI) की ओर से किया गया पहला बड़ा निवेश था।
गोपीचंद हिंदुजा हिंदुजा ग्रुप के प्रमुख थे। यह एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय समूह है। यह समूह कई तरह के व्यवसायों में फैला हुआ है। इसमें ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, रसायन, ऊर्जा, मीडिया और रियल एस्टेट शामिल हैं। हिंदुजा ग्रुप का भारत और दुनिया भर में मजबूत प्रभाव रहा है। गोपीचंद हिंदुजा ने अपने नेतृत्व से ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके निधन से व्यापार जगत में एक बड़ी क्षति हुई है।
कितनी दौलत के मालिक?
गोपीचंद हिंदुजा मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद ग्रुप के चेयरमैन बने थे। उनकी गिनती ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति के तौर पर होती रही है। हाल में गोपीचंद हिंदुजा और उनके परिवार ने ब्रिटेन की संडे टाइम्स रिच लिस्ट में शीर्ष स्थान हासिल किया था। 18 मई, 2025 को जारी हुई इस सूची के अनुसार, उनके परिवार की कुल संपत्ति 33,67,948 करोड़ रुपये थी, जो दूसरे स्थान पर रहे डेविड और साइमन रीबेन परिवार से 8,042 करोड़ रुपये अधिक थी। यह उपलब्धि तब हासिल हुई जब उनकी संपत्ति में थोड़ी गिरावट आई थी। फोर्ब्स की रियल टाइम नेटवर्थ के अनुसार, मंगलवार तक हिंदुजा परिवार की कुल संपत्ति 20.6 अरब डॉलर (1,82,668 करोड़ रुपये) है।
बेहद बड़ा है कारोबारी साम्राज्यहिंदुआ परिवार लंदन में महत्वपूर्ण रियल एस्टेट संपत्तियों का मालिक है। इसमें व्हाइटहॉल की ऐतिहासिक ओल्ड वॉर ऑफिस बिल्डिंग में स्थित रैफल्स लंदन होटल भी शामिल है। गोपीचंद हिंदुजा ने 1959 में मुंबई के जय हिंद कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर से मानद डॉक्टरेट ऑफ लॉ और रिचमंड कॉलेज, लंदन से मानद डॉक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स से सम्मानित किया गया। परिवार के सदस्य अलग-अलग जगहों से अपने कारोबार को संभालते हैं। गोपीचंद लंदन में रहते थे। जबकि उनके छोटे भाई प्रकाश मोनाको में रहते हैं और सबसे छोटे भाई अशोक मुंबई से भारत में कंपनी के हितों का प्रबंधन करते हैं। गोपीचंद के नेतृत्व में ग्रुप ने 1984 में गल्फ ऑयल का अधिग्रहण किया और तीन साल बाद अशोक लेलैंड को अपने कब्जे में लिया। यह भारत में किसी एनआरआई (NRI) की ओर से किया गया पहला बड़ा निवेश था।
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