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'चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश..': भारत के लिए क्यों जरूरी है अफगानिस्तान, ओवैसी ने बहुत बड़ी बात कह दी

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नई दिल्ली: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत और अफगानिस्तान के बीच नए सिरे से रिश्तों में शुरुआत का पूरजोर स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि वह तो 2016 से ही इस बात की वकालत कर रहे हैं, लेकिन तब इसपर लोग आपत्ति जताते थे। उनका कहना है कि अफगानिस्तान के अंदर क्या हो रहा है, यह उनका आंतरिक मामला है, लेकिन क्षेत्रीय कूटनीति के लिए भारत का अफगानिस्तान के साथ राजनयिक रिश्ता बहुत आवश्यक है। बता दें कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी इन दिनों भारत यात्रा पर आए हुए हैं।



'मैं तो वेलकम करूंगा इसको'

हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में भारत-अफगानिस्तान संबंध में प्रगति को लेकर कहा है, 'मैं तो वेलकम करूंगा इसको। मैं तो 2016 में संसद में खड़े होकर कहा था कि तालिबान आएगा, आप उनके साथ बातचीत कीजिए। कई मीडिया के कई लोग, पॉलिटिकल बीजेपी के लोग गाली दिए मुझे..ये देखो तालिबान की बात कर रहा है। मेरी स्पीच है..मैंने कहा आप बात करिए उनसे।'



तालिबान की कमियों पर बोले ओवैसी

उन्होंने कहा कि 'ये चाबहार पोर्ट बनना हमारे लिए बहुत जरूरी है...जो ईरान में हम बना रहे...उससे अफगानिस्तान में हम जाएंगे। हम कैसे इंफ्लूएंस छोड़ देंगे उस इलाके का...चीन और पाकिस्तान के लिए?' जब तालिबान की खामियों को लेकर ओवैसी को टोका गया तो उन्होंने कहा, 'अरे सर खामियां सब में हैं। आप खामियों को देखेंगे...उस स्पेस को छोड़ देंगे...आपके घर में क्या होगा मुझे क्या देखना उसे...। मुझे ये देखना है कि मैं उस जगह को ना खो दूं।'



'सिक्योरिटी, जियोपॉलिटिक्स के लिए जरूरी'

भारत के लिए अफगानिस्तान की अहमियत बताते हुए ओवैसी बोले, 'अफगानिस्तान के विदेश मंत्री यहां हैं और पाकिस्तान ने उनपर बमबारी कर दी। आप देख रहे हैं कैसा हो रहा है? चीन..पाकिस्तान..अफगानिस्तान..बांग्लादेश को बुलाकर मीटिंग किया है..ये सही है क्या हमारे लिए? पूरा राजनयिक संबंध हमारा कायम होना चाहिए। देश की सिक्योरिटी और जियोपॉलिटिक्स के लिए हमारा वहां रहना बहुत जरूरी है।...बिल्कुल मैं तो कहूंगा कि पूर्ण रूप से राजनयिक संबंध होना चाहिए...। जब तालिबान आया तो उसने इंडिया से कहा कि आप जो मेडिकल फील्ड में एड दे रहे हैं, उसको बंद मत कीजिए प्लीज। अफगानिस्तान में हमारा बहुत बड़ा इंवेस्टमेंट है...और जो गुडविल वहां पर भारतीयों की है....सिख लोगों के हाथों में वहां पर सारा फॉरेन एक्सचेंज है...।'

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