नई दिल्ली: गुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें जो हो जौक-ए-यकीं पैदा तो कट जाती हैं जंजीरें... कुछ ऐसा ही देखने को मिला मायानगरी मुंबई में बीती रात। जिस साउथ अफ्रीका ने अपनी बेखौफ बैटिंग से महिला विश्व कप 2025 के लगभग हर मैच में हर किसी की नाक में दम किया उसे भारतीय टीम ने अपने अदम्य साहस, अद्भुत कौशल और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए आखिरकार फाइनल में घुटने टेकने के लिए मजबूर किया। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी विश्व कप जीतकर जो इतिहास रचा है, वह महज एक ट्रॉफी से कहीं बढ़कर है। यह जीत नारी शक्ति के उत्थान, लंबे सघर्ष की सफलता और करोड़ों सपनों की पूर्ति का प्रतीक है। यह सिर्फ एक खेल की विजय नहीं है, बल्कि देश की हर उस बेटी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पंख देना चाहती है।
जब फाइनल मुकाबले में विजयी रन बने और दीप्ति शर्मा ने आखिरी विकेट लिया, तो मैदान पर उमड़ी भावनाओं का ज्वार और दर्शकों का शोर मेरे दिल को छू गया। यह पल उन सभी संघर्षों की गवाही दे रहा था जो, इन 'वीरांगनाओं' ने यहां तक पहुंचने के लिए किए थे। पुरुष क्रिकेट की चकाचौंध में अक्सर महिला क्रिकेट को वह पहचान और समर्थन नहीं मिला जिसका वह हकदार था। इन खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा, लगन और अटूट विश्वास के दम पर अपनी जगह बनाई है।
फाइनल में शेफाली वर्मा की तूफानी बल्लेबाजी, दीप्ति शर्मा का हरफनमौला प्रदर्शन और कप्तान हरमनप्रीत कौर का नेतृत्व - ये सब मिलकर एक ऐसी कहानी बुनते हैं जो आने वाली पीढ़ियों को सुनाई जाएगी। इस जीत में कई सितारों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। स्मृति मांधना की आकर्षक और महत्वपूर्ण पारियों ने टीम को मजबूत शुरुआत दी, तो वहीं प्रतिका रावल ने अपनी चोट से पहले शानदार प्रदर्शन से टीम को गति दी। युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज रिचा घोष ने भी मध्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जबकि हरफनमौला श्री चरणी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से टीम को सतुंलन प्रदान किया।
खास तौर पर सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली ऐतिहासिक जीत, जिसमें जेमिमा रोड्रिग्स ने दबाव में शानदार शतक जड़ा, यह दर्शाता है कि इस टीम में विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का अदम्य साहस है। यह जीत सिर्फ विश्व कप नहीं है; यह भारतीय समाज में महिला एथलीटों के प्रति दृष्टिकोण को बदलने का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब हर माता-पिता अपनी बेटी को बेझिझक खेलने के लिए प्रेरित करेंगे, क्योंकि उन्होंने अपनी आंखों से देखा है कि मेहनत और जुनून से आसमान को छुआ जा सकता है।
मैच के बाद जब खिलाड़ियों की आंखों में खुशी के आंसू थे, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। यह हमारे लिए एक स्वर्णिम क्षण है। महिला क्रिकेट को अब जो पहचान और सम्मान मिला है, वह उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह जीत देश की हर महिला के लिए एक सदेश है- आपका सघर्ष बेकार नहीं जाएगा।
एक आखिरी बात हरमन सेना... अपना जमाना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल हम वो नहीं कि जिन को जमाना बना गया। सलाम, सलाम और अगले 100 सालों तक इस महिला टीम को भारत का सलाम।
जब फाइनल मुकाबले में विजयी रन बने और दीप्ति शर्मा ने आखिरी विकेट लिया, तो मैदान पर उमड़ी भावनाओं का ज्वार और दर्शकों का शोर मेरे दिल को छू गया। यह पल उन सभी संघर्षों की गवाही दे रहा था जो, इन 'वीरांगनाओं' ने यहां तक पहुंचने के लिए किए थे। पुरुष क्रिकेट की चकाचौंध में अक्सर महिला क्रिकेट को वह पहचान और समर्थन नहीं मिला जिसका वह हकदार था। इन खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा, लगन और अटूट विश्वास के दम पर अपनी जगह बनाई है।
फाइनल में शेफाली वर्मा की तूफानी बल्लेबाजी, दीप्ति शर्मा का हरफनमौला प्रदर्शन और कप्तान हरमनप्रीत कौर का नेतृत्व - ये सब मिलकर एक ऐसी कहानी बुनते हैं जो आने वाली पीढ़ियों को सुनाई जाएगी। इस जीत में कई सितारों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। स्मृति मांधना की आकर्षक और महत्वपूर्ण पारियों ने टीम को मजबूत शुरुआत दी, तो वहीं प्रतिका रावल ने अपनी चोट से पहले शानदार प्रदर्शन से टीम को गति दी। युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज रिचा घोष ने भी मध्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जबकि हरफनमौला श्री चरणी ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से टीम को सतुंलन प्रदान किया।
खास तौर पर सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली ऐतिहासिक जीत, जिसमें जेमिमा रोड्रिग्स ने दबाव में शानदार शतक जड़ा, यह दर्शाता है कि इस टीम में विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का अदम्य साहस है। यह जीत सिर्फ विश्व कप नहीं है; यह भारतीय समाज में महिला एथलीटों के प्रति दृष्टिकोण को बदलने का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब हर माता-पिता अपनी बेटी को बेझिझक खेलने के लिए प्रेरित करेंगे, क्योंकि उन्होंने अपनी आंखों से देखा है कि मेहनत और जुनून से आसमान को छुआ जा सकता है।
मैच के बाद जब खिलाड़ियों की आंखों में खुशी के आंसू थे, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। यह हमारे लिए एक स्वर्णिम क्षण है। महिला क्रिकेट को अब जो पहचान और सम्मान मिला है, वह उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह जीत देश की हर महिला के लिए एक सदेश है- आपका सघर्ष बेकार नहीं जाएगा।
एक आखिरी बात हरमन सेना... अपना जमाना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल हम वो नहीं कि जिन को जमाना बना गया। सलाम, सलाम और अगले 100 सालों तक इस महिला टीम को भारत का सलाम।
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