– ऑस्ट्रेलिया गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष रिचर्ड मार्लेस के साथ द्विपक्षीय बैठक की
New Delhi, 09 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . दो दिवसीय यात्रा पर ऑस्ट्रेलिया गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष रिचर्ड मार्लेस के साथ कई अहम मुद्दों पर द्विपक्षीय बैठक की. दोनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा, संयुक्त समुद्री सुरक्षा सहयोग, द्विपक्षीय रक्षा ढांचे का विस्तार करने के रोडमैप पर चर्चा की. मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में चल रही प्रगति का स्वागत किया. दोनों पक्ष समकालीन प्रौद्योगिकी में रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी सहमत हुए.
बैठक खत्म होने के बाद भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा मंत्रियों के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि उप-प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने ऑस्ट्रेलिया-भारत रक्षा मंत्रियों की पहली वार्ता के लिए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ऑस्ट्रेलिया में स्वागत किया. इस वार्ता में द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी में अभूतपूर्व प्रगति और 2020 में ऑस्ट्रेलिया-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी के उन्नयन के बाद से मंत्रियों के बीच हुई चार द्विपक्षीय बैठकों के बाद सहयोग बढ़ाने की मंत्रियों की महत्वाकांक्षा को दर्शाया गया. मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए अपने प्रधानमंत्रियों के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया, ताकि सामूहिक शक्ति को बढ़ाया जा सके.
संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों देशों ने समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त समुद्री सुरक्षा सहयोग रोडमैप पर चर्चा की और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा पत्र को और मजबूत करने की उम्मीद जताई. उप प्रधानमंत्री ने भारत को ऑस्ट्रेलिया के ऑपरेशन ‘रेंडर सेफ’ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा ढांचे का विस्तार करने और परामर्श एवं सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई. इसके अलावा पारस्परिक पनडुब्बी बचाव सहायता और सहयोग पर हुए हस्ताक्षर का स्वागत किया. उन्होंने 2024 में हस्ताक्षरित हवा से हवा में ईंधन भरने पर ऑस्ट्रेलिया-भारत कार्यान्वयन व्यवस्था के क्रियान्वयन की दिशा में प्रगति का स्वागत किया.
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने सभी क्षेत्रों में रक्षा साझेदारी बढ़ने पर खुशी जताई, इसलिए सभी क्षेत्रों में संयुक्त अभ्यास, संचालन और अंतर-संचालन आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त स्टाफ वार्ता की स्थापना का स्वागत किया. ऑस्ट्रेलिया ने 2025 में ऑस्ट्रेलिया के अभ्यास टैलिसमैन सेबर में भारत की पहली भागीदारी का स्वागत किया और 2027 में फिर से भागीदारी की उम्मीद जताई. मंत्रियों ने 2024 में Indian वायु सेना के अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना की भागीदारी के साथ-साथ 2026 में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और Indian नौसेना की भागीदारी का स्वागत किया. भारत ने पनडुब्बी बचाव अभ्यास ब्लैक कैरिलन में भागीदारी के लिए ऑस्ट्रेलिया के निमंत्रण का स्वागत किया.
भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा मंत्रियों के संयुक्त वक्तव्य में यह भी कहा गया कि 2026 में ऑस्ट्रेलियाई रक्षा कॉलेज में अतिरिक्त Indian छात्रों और 2027 में ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल अकादमी में पहली बार एक पद सृजित किए जाने का स्वागत किया गया. दोनों रक्षा मंत्रियों ने रक्षा औद्योगिक सहयोग और सहभागिता के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने 7 से 10 अक्टूबर तक भारत में ऑस्ट्रेलिया के पहले रक्षा व्यापार मिशन और ऑस्ट्रेलिया के लैंड फोर्सेज एक्सपो 2024 में उद्घाटन भारत मंडप का स्वागत किया, जो द्विपक्षीय रक्षा उद्योग संबंधों में वृद्धि को दर्शाता है. मंत्रियों ने 10 अक्टूबर को सिडनी में आयोजित होने वाले ऑस्ट्रेलिया-भारत रक्षा उद्योग गोलमेज सम्मेलन को स्वीकार किया.
दोनों पक्ष समकालीन प्रौद्योगिकी में रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी सहमत हुए, जिसमें रक्षा उद्योग, अनुसंधान और सामग्री पर संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से सहयोग शामिल है. ऑस्ट्रेलिया ने हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती के दौरान Indian शिपयार्ड में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के जहाजों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल की पेशकश के लिए भारत को धन्यवाद दिया. मंत्रियों ने हिंद महासागर के देशों की समुद्री क्षमताओं के समर्थन में ऑस्ट्रेलियाई और Indian उद्योग सहयोग की योजना का स्वागत किया. इसके अलावा मंत्रियों ने एक स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने में मदद के लिए क्षेत्रीय भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर दिया.
संयुक्त वक्तव्य के अनुसार रक्षा मंत्रियों ने ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में चल रही प्रगति का स्वागत किया. ऑस्ट्रेलिया और भारत ने उन पहलों के लिए दृढ़ समर्थन व्यक्त किया, जो चारों पक्षों के बीच घनिष्ठ समुद्री निगरानी सहयोग को बढ़ावा देती हैं. दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी सेनाओं के बीच बढ़ते सहयोग पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने विषय-वस्तु विशेषज्ञों के आदान-प्रदान के माध्यम से एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा, सुरक्षित संचार, मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस), काउंटर-यूएएस और विशेष अभियानों जैसे उभरते और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के महत्व पर बल दिया.—————–
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
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