दोहा, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . 15 अरब और इस्लामिक देशों ने इजराइली संसद (कनेसेट) द्वारा वेस्ट बैंक और अवैध बस्तियों पर कब्जा बढ़ाने के दो प्रस्तावित कानूनों को मंजूरी देने की कड़ी निंदा की है. इसमें कतर, जॉर्डन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्किए, जिबूती, सऊदी अरब, ओमान, गाम्बिया, फिलिस्तीन, कुवैत, लीबिया, मलेशिया, मिस्र, नाइजीरिया, अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन शामिल हैं.
सामूहिक बयान में कहा गया कि ये कानून अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2334 का उल्लंघन है, जो 1967 के बाद से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजराइल द्वारा जनसांख्यिकीय और भौगोलिक बदलावों को रोकता है. बयान में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) की 22 अक्टूबर 2025 की निर्णय का स्वागत किया गया, जिसमें इजराइल को मानवतावादी कर्तव्यों का पालन करने और गाजा सहित कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में आवश्यक राहत पहुंचाने का निर्देश दिया गया.
आईसीजे ने इजराइल को भूख को हथियार नहीं बनाने, जबरन स्थानांतरण और निर्वासन से परहेज करने और फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय और स्वतंत्र राज्य की मान्यता सुनिश्चित करने की याद दिलाई. न्यायालय ने ईस्ट येरूसलम पर इजराइल के क्षेत्रीय दावों को “अमान्य” घोषित किया.
बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजराइल के एकतरफा और अवैध कदमों को रोकने तथा फिलिस्तीनियों को 04 जून, 1967 की सीमाओं के भीतर स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के उनके अधिकार की रक्षा करने की अपील की गई है.
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
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