भारत में दिवाली का धमाका धनतेरस से ही शुरू होता है, जिसे धनत्रयोदशी भी बोलते हैं। इस खास दिन भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। किंवदंती के मुताबिक, इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुईं, समृद्धि लेकर। उनके साथ धन के देवता कुबेर भी थे। यही वजह है कि धनतेरस पर शाम को चार कोनों वाला यम का दीपक जलाने की परंपरा है। ये दीया असमय मौत और दुर्भाग्य से परिवार की रक्षा करता है।
यम का दीया 2025: सटीक तारीख और शुभ समय
2025 में यम दीपम 18 अक्टूबर को शनिवार के दिन जलाना है। यम का दीया जलाने का बेस्ट टाइम शाम 05:48 बजे से 07:04 बजे तक रहेगा। यानी आपके पास पूरे 1 घंटे 16 मिनट का समय है। इस दौरान किसी भी पल दीपक जला लें, लेकिन सूर्यास्त के बाद ही शुरू करें।
यम का दीया कहां और किस दिशा में रखें
यम के दीपक को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है। कुछ जगहों पर इसे नाली या पानी वाली जगह के पास भी रखते हैं। दक्षिण दिशा ही यमराज की दिशा मानी जाती है, इसलिए इसी तरफ मुंह करके दीया जलाएं।
यम दीपक कैसे बनाएं और जलाएं
सबसे पहले मिट्टी, आटे या गोबर से चौमुखा दीपक तैयार करें। इसमें रुई की दो या चार लंबी बत्तियां डालें। फिर सरसों का तेल भरें। दीपक को सीधे जमीन पर न रखें, बल्कि थोड़े चावल या फूलों पर रखकर जलाएं। जलाते वक्त ‘ऊं यमदेवाय नम:’ का जाप करें। ये आसान तरीका है, घर पर ही ट्राई करें।
यम का दीपक जलाने का राज़: क्यों जरूरी है ये रस्म
धनतेरस पर सूर्यास्त होते ही मृत्यु के देवता यमराज के सम्मान में घर के बाहर ये दीया जलाएं। इसे यम दीपम या दीपदान कहते हैं। मान्यता है कि इससे परिवार को समय से पहले मौत और बुरे भाग्य से बचाव मिलता है। इस परंपरा को नजरअंदाज न करें, वरना परेशानी हो सकती है!
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