राजस्थान के जालौर के रानीवाड़ा उपखंड में इस साल मौसम की 50 प्रतिशत से ज़्यादा बारिश हो चुकी है, लेकिन इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जेतपुरा बांध अब सूख चुका है। बांध में पानी की आवक नहीं हुई है। बांध का निर्माण कार्य 1994 में शुरू हुआ था और इसका उद्घाटन 1999 में हुआ था। क्षेत्र के किसानों को उम्मीद थी कि बांध में पानी की भरपूर आवक होगी, जिससे कृषि क्षेत्र बाग-बाग हो जाएगा, लेकिन बांध के 26 साल के इतिहास में सिर्फ़ एक बार ही पर्याप्त पानी की आवक हुई है।
वर्ष 2017 में अचानक आई बाढ़ के दौरान अचानक पानी आने से गेट नहीं खुले और पानी बांध के एक छोर की दीवार तोड़कर बह गया। इस पानी से किसानों के खेतों में मिट्टी का कटाव हुआ और पानी ने सबसे ज़्यादा तबाही गुजरात के धनेरा में मचाई। इस साल को छोड़कर, बांध आज तक क्षेत्र के किसानों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। जेतपुरा से धानोल, भंवरिया, खाखरिया, धमासीन आदि गाँवों के खेतों तक नहरें बनाई गई हैं, लेकिन पानी की आवक न होने के कारण करोड़ों की यह परियोजना बेकार साबित हो रही है।
5 मीटर गेज का बड़ा बाँध
रानीवाड़ा स्थित जेतपुरा बाँध का जलग्रहण क्षेत्र 99.174 वर्ग किमी है। इसकी भराव क्षमता 25.02 लाख घन फीट है। इस पर बनी मुख्य नहर की लंबाई 7.50 किलोमीटर है। जबकि वर्तमान में बाँध पूरी तरह सूखा पड़ा है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि निकटवर्ती दांतीवाड़ा बाँध से नहर या पाइपलाइन के माध्यम से जेतपुरा बाँध में पानी पहुँचाया जाना चाहिए, ताकि बाँध में पानी होने से आस-पास के कृषि क्षेत्र को भी लाभ मिल सके।
किसानों का कहना है कि यदि शीघ्र ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो खेत सूख जाएँगे और क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, जिसका ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और सिंचाई विभाग से दांतीवाड़ा बांध से पानी उपलब्ध कराने की योजना पर तुरंत अमल करने की मांग की है ताकि हजारों किसान राहत की सांस ले सकें। पूर्व विधायक नारायण सिंह देवल का कहना है कि हमने सरकार से इस परियोजना को लागू करने की मांग की है।
पानी की आवक के लिए ये प्रयास ज़रूरी हैं
जेतपुरा बांध से दांतीवाड़ा बांध की दूरी 52 किलोमीटर है। किसानों और स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर दोनों बांधों की अतिरिक्त आवक को जोड़ दिया जाए तो काफी फायदा होगा। जेतपुरा बांध में पानी की निरंतर आवक से क्षेत्र के 30 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो सकेंगे।
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