समरावता हिंसा में शामिल नरेश मीणा समेत 59 में से 52 आरोपी टोंक की एससी-एसटी कोर्ट में पेश हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चार्ज बहस का आदेश सुनाया और पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा। कोर्ट ने जानलेवा हमले की धारा (बीएनएस की धारा 109ए) नहीं हटाई है।मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी। पेशी के बाद कोर्ट से बाहर आते हुए नरेश मीणा मुस्कुराते हुए नज़र आए। मीणा ने कहा- मुझे नीले छत्र (ईश्वर) पर भरोसा है। उनसे न्याय मिलेगा।नरेश मीणा व अन्य आरोपियों के अधिवक्ता फतेह लाल मीणा ने केस संख्या 167/2024 पर कोर्ट द्वारा सुनाए गए चार्ज बहस के आदेश को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा- कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में निगरानी याचिका दायर करेंगे।
पूरा मामला 4 बिंदुओं में समझें
देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के लिए 13 नवंबर 2024 को मतदान हुआ था। इसमें समरावता गाँव के लोगों ने अपने गाँव को उनियारा उपखंड में शामिल करने की माँग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। उस समय निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी ग्रामीणों की माँगों को जायज़ बताते हुए ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए थे।
मतदान के बहिष्कार के बावजूद, नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी पर तीन लोगों को जबरन वोट डालने का आरोप लगाते हुए उन्हें थप्पड़ मार दिया। इसके बाद वे वापस धरने पर बैठ गए। मतदान रात 8 बजे तक चला। रात करीब 9.45 बजे नरेश मीणा धरने से उठे और पुलिस से मिलने गए।
पुलिस ने नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया था। जैसे ही मीणा के समर्थकों को इसकी जानकारी मिली, वे और भड़क गए। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने नरेश मीणा को पुलिस हिरासत से छुड़ा लिया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो नरेश मीणा के समर्थक भड़क गए और पथराव व आगजनी शुरू कर दी।
14 नवंबर को पुलिस ने नरेश मीणा को धरना स्थल से गिरफ्तार कर लिया था। फिर 15 नवंबर को अदालत के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया। इस मामले की सुनवाई पहले उनियारा और टोंक डीजे कोर्ट में हुई थी। जहाँ से जमानत खारिज हो चुकी है। अप्रैल में नरेश मीणा के वकील ने अर्जी लगाकर इस मामले को टोंक एससी-एसटी कोर्ट में ट्रांसफर करवा लिया था।
एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में नरेश मीणा को हाईकोर्ट से राहत
2 दिन पहले (7 जुलाई) नरेश मीणा को एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली थी। नरेश मीणा की निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस उमाशंकर व्यास की अदालत ने मामले में टोंक एससी-एसटी कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता फतेह राम मीणा और रजनीश गुप्ता ने अदालत को बताया कि यह मामला साधारण मारपीट का है, जबकि इसे हत्या के प्रयास का बताकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने निचली अदालत की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।शुक्रवार को समरावता हिंसा मामले में नरेश मीणा की ज़मानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश चौधरी ने घटना वाले दिन का वीडियो दिखाया, जिसमें नरेश मीणा ने लोगों से लाठियाँ लेकर समरावता पहुँचने का आह्वान किया था।
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