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जेल से छूटने के बाद बदल गया सियासी समीकरण, राजनीति में 'नंबर-14' बन गया अजीब संयोग और चर्चा का केंद्र

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टोंक जिले के समरवता गांव में हुए समरवता थप्पड़ कांड और देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा और आगजनी के बाद 8 महीने जेल में बिताने के बाद नरेश मीणा को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। जेल से रिहा होने के बाद वे सीधे समरवता गांव पहुंचे। यहां नरेश मीणा ने जनता के सामने शीश झुकाया और कहा कि समरवता गांव ने मुझे नया जीवन दिया है, मैं वचन देता हूं कि आखिरी सांस तक गांव के हर परिवार की श्रवण कुमार बनकर सेवा करूंगा।

समरवता गांव पहुंचकर नरेश मीणा ने रामायण की चौपाई "रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए" के साथ अपनी बात रखी और कहा कि सनातन मान्यताओं के अनुसार किसी के स्वागत से इनकार नहीं करना चाहिए। लेकिन न्यायालय के आदेश का पालन तो करना ही होगा, इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। मैं न्यायालय के आदेशों का सदैव पालन करूँगा। समरवता के लोगों से मिलते हुए नरेश मीणा ने कहा कि समरवता मुझे अपना बेटा मानती है और मैं बेटा बनकर आया हूँ और बेटा ही रहूँगा।

नरेश मीणा के लिए 14 तारीख एक अजीब संयोग बन गई

नरेश मीणा के लिए 14 तारीख एक अजीब संयोग बन गई। नरेश को 8 महीने पहले 14 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। 8 महीने बाद, सोमवार 14 जुलाई को उन्हें ज़मानत पर रिहा किया गया, जिसके बाद वे जेल से सीधे समरवता गाँव पहुँचे। इससे पहले टोंक स्थित एससी एसटी कोर्ट में ज़मानत की औपचारिकताएँ पूरी की गईं।

नरेश मीणा ने आगे की योजना बताई

नरेश मीणा ने खुद बताया कि उन्हें शर्तों पर ज़मानत मिली है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि मैं हर महीने की 25 तारीख को नगरफोर्ट थाने में उपस्थित रहूँगा, किसी भी तरह के उत्सव में कोई बात नहीं करूँगा। यही वजह है कि रास्ते में कई लोग माला और साफा लेकर खड़े थे। लेकिन मैं किसी की माला और साफा नहीं पहन सका। अब मैं देव धाम जोधपुरिया जाऊँगा। मैं मंगलवार को बाबा खाटू श्याम के दर्शन के लिए जाऊंगा, उसके बाद मैं आपके गांव में एक दिन और कुछ घंटे नहीं बल्कि लंबे समय तक रहूंगा और यहीं रहकर आपकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करूंगा।

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