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Jaipur छुट्टियों को लेकर पंचांग और सरकारी कैलेंडर में मतभेद

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  सबसे बड़े त्योहार दीपावली को लेकर सरकारी कैलेंडर में अवकाश और हिंदू पंचांगों में मतभेद के चलते लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। केंद्र और राज्य सरकार के कैलेंडर में दीपावली का अवकाश 31 अक्टूबर को बताया जा रहा है, जबकि प्रमुख ज्योतिष व पंचांग दीपावली पर्व 1 नवंबर को बताया है। प्रदोष काल में दो दिन अमावस्या रहने पर दूसरे दिन सूर्योदय से शाम तक अमावस्या होने पर 1 नवंबर को दीपोत्सव का पर्व मनाने और लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत बताया गया है।

बंशीधर ज्योतिष पंचांग के ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने दीपावली पर्व का कर्म काल
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर प्रदोष काल (शाम के समय) में बताया है।

धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार यदि अमावस्या प्रदोष काल में दो दिन रहती है तो सूर्योदय से शाम तक रहने वाली अमावस्या के दिन प्रदोष काल में दीपोत्सव मनाना व लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ है। अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर 3:53 बजे से 1 नवंबर को शाम 6:17 बजे तक रहेगी। सूर्योदय से सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या होने पर यह पर्व मनाया जाना श्रेष्ठ है, इसलिए लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को शाम 5:40 से 8:16 बजे तक किया जा सकेगा।
शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण व परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि शास्त्र अनुसार अमावस्या दो दिन रहने पर प्रदाेष काल में दूसरे दिन दीप मालिका पर्व मनाया जाएगा। वैष्णवजन 1 नवंबर को ही दीपावली मनाएंगे।
हालांकि गोविंददेवजी मंदिर का महंत परिवार 31 अक्टूबर को दीपावली मान रहा है। प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने कहा कि वे अपना कार्यक्रम पहले ही जारी कर चुके हैं।
उज्जैन में ज्योतिषियों ने लिया निर्णय ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र खंडेलवाल ने बताया कि शास्त्र सम्मत और उज्जैन में हुए ज्योतिषियों के निर्णय के आधार पर सर्वसम्मति से 1 नवंबर को ही दीपावली मनाने को मान्यता दी गई है। ऐसे मसले जहां बड़े त्योहार में असमंजस हो उसमें प्रमुख शंकराचार्य और केंद्र सरकार को भी हस्तक्षेप कर अवकाश को लेकर निर्णय सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य डॉ. योगेश व्यास ने बताया कि 1 नवंबर को सूर्योदय से लेकर शाम 6:17 बजे तक अमावस्या रहेगी। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या होने पर 1 नवंबर को ही यह पर्व मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा।

पांच के बजाय छह दिन का दीपोत्सव

29 अक्टूबर: धनतेरस का पर्व
30 अक्टूबर: रूप चतुर्दशी, यम के निमित्त दीपदान


31 अक्टूबर : छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी के निमित्त स्नान
1 नवंबर: दीपावली पर्व, 2 नवंबर : अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, 3 नवंबर : भाईदूज

सरकारी कैलेंडर में 31 अक्टूबर को दीपावली, 2 नवंबर को अन्नकूट और 3 को भाई दूज का पर्व बताया गया है।

त्रयोदशी तिथि: 29 अक्टूबर की सुबह 10:32 शुरू होगी 30 अक्टूबर की दोपहर 1:16 तक रहेगी।
चतुर्दशी तिथि : 30 अक्टूबर की दोपहर 1:16 बजे शुरू होगी और 31 अक्टूबर की दोपहर 3:53 बजे तक रहेगी।
अमावस्या : 31 अक्टूबर की दोपहर 3:53 बजे 1 नवंबर की शाम 6:17 बजे तक रहेगी।
 

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