गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने एक बार फिर राजस्थान सरकार को कड़ा अल्टीमेटम दिया है। समिति के संयोजक विजय बैंसला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साफ शब्दों में कहा कि सरकार के साथ 8 जून 2025 को हुए समझौते को 52 दिन बीत चुके हैं और अब केवल 8 दिन ही बचे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 8 अगस्त तक समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया गया तो गुर्जर समाज आगे की रणनीति पर विचार करेगा और आंदोलन का रास्ता अपनाएगा। बैंसला ने कहा कि 8 अगस्त के बाद समिति समाज के सामने समझौते की स्थिति स्पष्ट करेगी और आगे की रणनीति पर मंथन के बाद फैसला लेगी।
समाज में बढ़ रहा असंतोष- बैंसला
विजय बैंसला ने समाज में बढ़ रहे असंतोष को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) समाज के मुद्दों का अभी तक समाधान नहीं हुआ है। समझौते की शर्तों का पालन न होने से गुर्जर समाज में आक्रोश बढ़ रहा है। हालांकि, उन्होंने मुख्यमंत्री पर भरोसा जताते हुए कहा कि सरकार समय रहते समझौते को लागू करेगी। सूत्रों के अनुसार, बैंसला के इस बयान को सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पीलूपुरा महापंचायत में हुआ था समझौता
बता दें कि इसी साल 9 जून को भरतपुर के पीलूपुरा में गुर्जर समाज की एक महापंचायत आयोजित की गई थी, जिसमें प्रदेश भर से हजारों लोग जुटे थे। इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। महापंचायत में देर शाम सरकार की ओर से एक मसौदा भेजा गया, जिसे विजय बैंसला ने समाज के सामने पढ़कर सुनाया। इसके बाद आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की गई। इस समझौते में समाज की कई मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक इन पर पूरी तरह अमल नहीं होने से समाज में बेचैनी बढ़ रही है।
2006 में शुरू हुआ था यह आंदोलन
गौरतलब है कि गुर्जर समाज का आरक्षण आंदोलन करीब दो दशक पुराना है। 2006 में शुरू हुआ यह आंदोलन समय-समय पर हिंसक रूप ले चुका है। वर्ष 2019 में समाज को 5% आरक्षण और लगभग एक दशक पहले देवनारायण योजना जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ मिली थीं। हालाँकि, इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन न होना समाज के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। खासकर, बेटियों को छात्रवृत्ति और स्कूटी वितरण में हो रही देरी ने समाज की नाराजगी को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, आंदोलन के दौरान दर्ज 74 मुकदमों को सरकार द्वारा वापस न लिए जाने से भी समाज में रोष है।
आंदोलन की चेतावनी, सरकार पर दबाव
बता दें कि विजय बैंसला का यह बयान सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है। गुर्जर समाज का आंदोलन पहले ही सड़कों पर उतरकर रेल और सड़क मार्ग जाम कर चुका है, जिससे प्रशासन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। अब 8 अगस्त की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही समाज में आंदोलन तेज होता जा रहा है। बैंसला ने स्पष्ट किया कि समाज अपनी मांगों को लेकर किसी भी हद तक जा सकता है, लेकिन फिर भी सरकार पर भरोसा बना हुआ है।
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