राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्यामजी का मंदिर देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से बाबा श्याम के दर्शन करने आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि इस मंदिर के कपाट हर दिन केवल 5 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं, और बाकी के 19 घंटे बंद रहते हैं? यह तथ्य जितना रोचक है, उतना ही रहस्यमय भी। आखिर क्यों बंद रहते हैं इतने लंबे समय तक कपाट? इसके पीछे क्या कोई धार्मिक रहस्य है या कोई प्राचीन परंपरा?
कौन हैं खाटू श्याम?पहले यह जानना जरूरी है कि खाटू श्याम जी कौन हैं। खाटू श्याम को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक अवतार माना जाता है, जिनका वास्तविक नाम बर्बरीक था। महाभारत युद्ध के समय बर्बरीक को अत्यंत बलशाली योद्धा माना जाता था, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने भविष्य में होने वाले विनाश को भांपते हुए उनसे उनका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना शीश दान कर दिया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि "कलियुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे और शीश के रूप में खाटू में स्थापित किए जाओगे।" तभी से बर्बरीक को खाटू श्याम कहा जाने लगा।
कपाट 19 घंटे क्यों रहते हैं बंद?खाटू श्यामजी के मंदिर में कपाट केवल दिन में 5 घंटे के लिए खुलते हैं, और बाकी 19 घंटे बंद रहते हैं। इसके पीछे कई धार्मिक, पौराणिक और प्रचलित मान्यताएं प्रचलित हैं:
1. बाबा श्याम रात में करते हैं ब्रह्मांड की यात्रायह मान्यता है कि बाबा श्याम अपने भक्तों की पीड़ा दूर करने के लिए रात्रि में मंदिर से बाहर निकलकर ब्रह्मांड की यात्रा करते हैं। वे उन भक्तों के पास स्वयं पहुंचते हैं जो सच्चे मन से उन्हें पुकारते हैं। अतः उनके आराम, ध्यान और सिद्ध अवस्था के लिए मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं।
2. गोपनीयता और पवित्रता की रक्षामान्यता है कि बाबा श्याम ध्यान की गहन अवस्था में रहते हैं, और किसी भी प्रकार का शोर, हलचल या ऊर्जा का असंतुलन उनकी दिव्यता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए अधिक समय तक मंदिर को बंद रखा जाता है ताकि वातावरण शुद्ध और शांत बना रहे।
3. कपाट खुलने का समय स्वयं श्यामजी निर्धारित करते हैंयह भी कहा जाता है कि कपाट खोलने और बंद करने का समय किसी घड़ी या नियम से नहीं, बल्कि श्रद्धा और आंतरिक संकेत से तय होता है। पुजारीगण विशेष पूजा और ध्यान के माध्यम से उस समय का अनुभव करते हैं जब बाबा दर्शन देने को तत्पर होते हैं।
4. प्राचीन परंपरा और अनुशासन का पालनखाटू श्याम मंदिर के प्रबंधन द्वारा वर्षों से चली आ रही परंपराओं का पालन भी एक कारण है। कपाट बंद रखने की परंपरा तपस्या, ब्रह्मचर्य और संयम का प्रतीक मानी जाती है, जिससे भक्तों को भी अनुशासन की प्रेरणा मिलती है।
5. तांत्रिक ऊर्जा का प्रभावकुछ आध्यात्मिक विद्वानों का मानना है कि मंदिर में स्थापित श्यामजी के शीश में इतनी तांत्रिक शक्ति है कि वह 24 घंटे खुला नहीं रखा जा सकता। अधिक समय तक खुले रहने पर वह ऊर्जा अनियंत्रित हो सकती है, जो भक्तों और पुजारियों के लिए हानिकारक हो सकती है।
कपाट खुलने का समयआमतौर पर खाटू श्याम मंदिर के कपाट प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में कुछ घंटों के लिए और फिर सांध्य समय आरती तक के लिए खोले जाते हैं। इसके अलावा विशेष अवसरों पर जैसे फाल्गुन मेले, एकादशी, जन्माष्टमी या ग्यारस के दिन, दर्शन का समय बढ़ा दिया जाता है।
श्रद्धालुओं की आस्था और अनुभवजो भी भक्त बाबा श्याम के दर्शन करते हैं, उनका कहना है कि उन्हें एक अनोखी शांति और ऊर्जा की अनुभूति होती है। कई श्रद्धालु बताते हैं कि बाबा श्याम उनके सपनों में आकर मार्गदर्शन करते हैं, और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कपाट बंद रहने के बावजूद भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं और बाहर से ही शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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