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22 साल बाद मिला न्याय! एफसीआई से गरीबों का गेहूं हड़पने वाले घोटालेबाजों को कोर्ट ने सुनाई सजा, करोड़ों का था गबन

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सीकर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 22 साल पुराने एफसीआई गेहूं घोटाले में तीन आरोपियों को 3 साल की कैद और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला आरजेएस विकास कुमार स्वामी की कोर्ट ने सुनाया। मामले में फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार लिमिटेड, सीकर ने गरीबों के लिए आवंटित गेहूं को कालाबाजार में बेचकर करोड़ों रुपए का गबन किया था। अभियोजन अधिकारी एवं सरकारी वकील विजयानंद थालिया ने बताया- 13 जून 2003 को एसीबी झुंझुनूं कैंप, सीकर को शिकायत मिली थी कि फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार लिमिटेड, सीकर एफसीआई से बीपीएल, एपीएल एवं सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों के लिए आवंटित गेहूं को बाजार एवं आटा मिलों में बेच रहा है। फर्जी रजिस्टर एंट्री एवं हस्ताक्षर के जरिए इस गेहूं को कालाबाजार में पहुंचाया गया, जिससे करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ।

एसीबी ने भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा खोला
गोपनीय सूचना के आधार पर एसीबी ने 13 जून 2003 को संस्था के फतेहपुर व सीकर कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि संस्था ने रामेश्वरलाल रामनिवास फर्म, मनीष फ्लोर मिल, जांगिड़ फ्लोर मिल, छीतरमल फ्लोर मिल, पारीक फ्लोर मिल व लाला फ्लोर मिल को ब्लैक में गेहूं बेचा। रिकॉर्ड में कैश बुक नंबर दो में 77,38,871 रुपए गेहूं बिक्री की एंट्री दर्ज थी। इसके अलावा जिला रसद अधिकारी व अन्य अधिकारियों को 65 हजार रुपए की रिश्वत व नोकिया मोबाइल देने के साक्ष्य भी मिले।

गोदाम से फर्जी कूपन व जब्ती
निरीक्षण के दौरान फतेहपुर कार्यालय से हजारों खाली अकाल राहत कूपन बरामद हुए, जो मजदूरों को गेहूं वितरण के लिए थे। ये कूपन संस्था के प्रबंधक सुशील कुमार की पत्नी माया देवी की उचित मूल्य दुकान से मिले, जो फर्जी समायोजन का हिस्सा थे। रामेश्वरलाल-रामनिवास के गोदाम से एफसीआई का 108 बोरी गेहूं (2003-04 ब्रांड) जब्त किया गया, जिसका फर्म मालिक ओमप्रकाश अग्रवाल कोई जवाब नहीं दे पाए।

कोर्ट में 22 साल तक चली सुनवाई
एसीबी ने रानोली थाने में हरिराम, सुशील कुमार और ओमप्रकाश अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया। जांच के दौरान कई अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। आरोपियों ने मामले के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दी, जिससे 21 साल तक कोई गवाह दर्ज नहीं हो सका। महज 1 साल में चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 47 गवाह, 293 दस्तावेज और 149 भौतिक साक्ष्य पेश किए गए। साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने हरिराम (55) और सुशील कुमार (मैनेजर, फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार) और ओमप्रकाश अग्रवाल (75, फर्म संचालक) को दोषी करार दिया। तीनों को 3 साल की सजा और 10-10 हजार रुपए जुर्माना लगाया।

गेहूं की कालाबाजारी से गरीबों के साथ अन्याय-कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि गरीबों के लिए आवंटित गेहूं की कालाबाजारी से लाभार्थियों के साथ अन्याय होता है। कोर्ट ने एसीबी को निर्देश दिया कि वह मामले में लोक सेवकों की भूमिका और काले कैश बुक की गहन जांच करे, क्योंकि यह घोटाला बिना किसी नेटवर्क के संभव नहीं है।

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