राजस्थान में राजनीतिक गर्मी एक बार फिर तेज़ हो गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सोमवार को सीजफायर और पाकिस्तान से बढ़ते तनाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कांग्रेस पृष्ठभूमि के कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रही है और जानबूझकर उन्हें बॉर्डर वाले संवेदनशील इलाकों में तैनात किया जा रहा है।
डोटासरा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "कांग्रेस विचारधारा से जुड़े कर्मचारी बॉर्डर पर जाने से नहीं डरते, लेकिन सरकार की नीयत में खोट है। उन्हें चुनकर सीमावर्ती इलाकों में भेजा जा रहा है, जबकि अन्य कर्मचारियों को इससे अलग रखा जा रहा है। यह खुला भेदभाव है।"
सीजफायर उल्लंघन और सुरक्षा मुद्दों पर सियासत तेज़पिछले कुछ दिनों से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे में सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार की सक्रियता बढ़ गई है। इसी संदर्भ में डोटासरा ने सरकार पर आरोप लगाया कि राजनीतिक आधार पर कर्मचारियों की पोस्टिंग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि, "कांग्रेस की पृष्ठभूमि से जुड़े कर्मचारियों को टारगेट किया जा रहा है, जबकि नियुक्ति और तैनाती का निर्णय पूरी तरह निष्पक्ष होना चाहिए।"
‘सरकार की नीयत पर सवाल’डोटासरा ने आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक द्वेष के चलते कांग्रेस समर्थक कर्मचारियों को सज़ा देने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह रवैया लोकतांत्रिक व्यवस्था और प्रशासनिक निष्पक्षता के खिलाफ है।
उनका कहना था कि “हमारे कर्मचारी देश की सेवा करने से पीछे नहीं हटते, लेकिन उन्हें चुनकर खतरनाक जगहों पर भेजना सत्ता का दुरुपयोग है।”
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजारडोटासरा के इस बयान के बाद अब सरकारी पक्ष की प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया जा रहा है। फिलहाल प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं ने बैकग्राउंड में यह दावा किया है कि तैनाती पूरी तरह योग्यता और आवश्यकता के आधार पर की जाती है, न कि किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के आधार पर।
राजनीति में बढ़ेगी बयानबाज़ी?राजस्थान में पहले से ही लोकसभा चुनाव के परिणामों और आगामी विधानसभा उपचुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बनी हुई है। ऐसे में गोविंद सिंह डोटासरा का यह बयान राजनीतिक बहस को और तेज़ कर सकता है।
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