26 जुलाई 1999 भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। इस दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाई थी। लगभग 60 दिनों तक चले इस युद्ध में हमारे वीर सैनिकों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। ऊँचे पहाड़ों और कठिन परिस्थितियों में भी भारतीय सैनिकों ने दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। उनकी वीरता ने न केवल देश को गौरवान्वित किया, बल्कि दुश्मन के हौसले भी पस्त कर दिए। यही वजह है कि हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पोखरण में सेना का दमदार प्रदर्शन
कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ पर भारतीय सेना ने जैसलमेर के पोखरण में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान सेना ने स्वदेशी 155 मिमी तोपखाना गोला-बारूद का सफल परीक्षण किया। कोणार्क कोर के जवानों ने पोखरण फायरिंग रेंज में यह अभ्यास किया। सेना ने इस परीक्षण को "जोरदार, घातक और बेजोड़" नाम दिया है जो इसकी ताकत और सटीकता को दर्शाता है।
आत्मनिर्भर भारत की नई उड़ान
इस सफल परीक्षण ने साबित कर दिया कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। स्वदेशी तोपखाना गोला-बारूद के इस प्रदर्शन ने न केवल सेना की मारक क्षमता में वृद्धि की, बल्कि 'मेक इन इंडिया' पहल को भी बल दिया। यह अभ्यास भारतीय सेना की रणनीतिक बढ़त को दर्शाता है।
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