महाराष्ट्र के औरंगाबाद से आने वाले राजन काबरा ने इस साल चार्टर्ड अकाउंटेंट के फ़ाइनल एग्ज़ाम में टॉप किया है. उन्होंने 600 में से 516 अंक हासिल किए.
इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया यानी आईसीएआई ने चार्टर्ड अकाउंटेंसी, मई 2025 परीक्ष के सभी तीन लेवल- फ़ाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फ़ाइनल के नतीजे के छह जुलाई को घोषित किए थे.
इनमें से सबसे चुनौती भरे चरण यानी सीए फ़ाइनल एग्ज़ाम में 14 हज़ार 247 स्टूडेंट्स पास हुए, जो अब क्वालिफ़ाइड चार्टर्ड अकाउंटेंट होंगे.
राजन काबरा को इस परीक्षा में जहां 86 फ़ीसदी अंक मिले तो वहीं ऑल इंडिया रैंकिंग में 83.83 फ़ीसदी नंबर के साथ कोलकाता की निष्ठा बोथरा दूसरे और मुंबई के मानव राकेश शाह 82.17 फ़ीसदी अंक पाकर तीसरे स्थान पर रहे.
पिछले साल दिल्ली के शिवम मिश्रा ने सीए फ़ाइनल परीक्षा टॉप की थी और उन्हें 83.33 फ़ीसदी अंक मिले थे. वहीं, नवंबर 2023 की फ़ाइनल परीक्षा को टॉप करने वाले मधुर जैन ने 77.38 फ़ीसदी अंक हासिल किए थे.
टॉपरों को मिलने वाले अंक अक्सर कही जाने वाली उस बात को सही साबित करते हैं कि चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना सबसे मुश्किल परीक्षाओं को पार करने समान है. इसके पीछे कई कारण भी गिनाए जाता है. आगे यही जानेंगे कि सीए कैसे बनते हैं और इसकी परीक्षा को इतना कठिन क्यों कहा जाता है.

चार्टर्ड अकाउंटेंट फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र होते हैं जो आपको वित्तीय फ़ैसले लेने में मदद करते हैं. वो आपको बताते हैं कि आपको निवेश कहां करना चाहिए और आपको कहां घाटा उठाना पड़ सकता है. वे आपको टैक्स सेविंग में भी गाइड करते हैं, बिज़नेस बढ़ाने के तरीके भी बताते हैं और बैंकिंग से जुड़ी सलाह भी देते हैं.
चार्टर्ड अकाउटेंट्स वित्तीय, टैक्स, ऑडिट, अकाउंटिंग और मैनेजमेंट कंसलटेंसी के विशेषज्ञ होते हैं. इनका मुख्य काम होता है- बिज़नेस अकाउंटिंग संभालना, टैक्सेशन और जीएसटी की योजना बनाना और रिटर्न फ़ाइल करना, स्टैट्यूटरी, इंटरनल और टैक्स ऑडिट करना, फ़ाइनेंशियल स्टेटमेंटस और रिपोर्ट्स तैयार करना, कंपनियों को फ़ाइनेंशियल, कभी-कभी लीगल और मैनेजेरियल सलाह देना.
बारहवीं पास करने वाले स्टूडेंट सीए कर सकते हैं, फिर वे भले ही कॉमर्स से पढ़े हों या फिर साइंस या आर्ट्स. हालांकि, इस परीक्षा को देने के लिए अधिकतम उम्र जैसी कोई सीमा नहीं है.
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स फ़र्म माहेश्वरी अग्रवाल एंड एसोसिएट्स से जुडे़ सीए दिव्य प्रकाश कहते हैं, "साइंस या आर्ट्स वालों के लिए भी कोई रोक नहीं है. आईसीएआई सबको अनुमति देता है. लेकिन कॉमर्स के स्टूडेंट्स को अकाउंटेंसी और मैथ्स का पहले से ज्ञान होने के कारण, विषय समझने में थोड़ी आसानी ज़रूर होती है."
सीए के तीनों लेवल के लिए साल में तीन बार परीक्षा होती है. अभी तक सीए फ़ाइनल परीक्षा साल में दो बार होती थी लेकिन इसी मार्च में आईसीएआई ने इसे तीन बार करवाने की घोषणा की थी. ये परीक्षा जनवरी, मई और सितंबर में होगी.
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पहले इसके स्ट्रक्चर को जान लेते हैं. इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (आईसीएआई) सीए की परीक्षाएं करवाता है, जिसमें तीन अहम लेवल होते हैं:
1. फ़ाउंडेशन कोर्स: पहले इसे सीपीटी यानी कॉम प्रॉफ़िशिएंसी टेस्ट कहा जाता था. इसमें 12वीं के बाद रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसमें अकाउंटिंग, लॉ, इकोनॉमिक्स, मैथ्स/स्टैटिस्टिक्स जैसे विषयों के पेपर होते हैं. पास होने पर अगले लेवल पर जाते हैं.
2. इंटरमीडिएट कोर्स: फ़ाउंडेशन कोर्स पास करने के बाद ये लेवल आता है. हालांकि, अगर बैचलर्स ऑफ़ कॉमर्स यानी बीकॉम में 55 फ़ीसदी या नॉन कॉमर्स ग्रैजुएशन में 60 फ़ीसदी अंक हासिल किए हों, तब सीधे भी इंटरमीडिएट में प्रवेश मिल सकता है. इसके दो ग्रुप होते हैं:
2(1). अकाउंट्स, लॉ, कॉस्टिंग, टैक्स
2(2). एडवांस्ड अकाउंटिंग, ऑडिटिंग, एंटरप्राइज़ इनफ़ॉर्मेशन सिस्टम्स एंड स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट, फ़ाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड इकोनॉमिक्स.
स्टूडेंट्स के पास विकल्प होता है कि वो एक ग्रुप की परीक्षा दें या दोनों ग्रुप साथ में दें.
3. आर्टिकलशिप: इंटरमीडिएट का कम से कम एक ग्रुप पास करने के बाद तीन साल की ट्रेनिंग करनी है किसी प्रैक्टिसिंग सीए के अधीनस्थ. इसे आर्टिकलशिप कहा जाता है. हालांकि, इसके लिए कोई परीक्षा नहीं होती है.
4. फ़ाइनल कोर्स: आर्टिकलशिप के अंतिम छह महीने के दौरान या इसके पूरे होने के बाद फ़ाइनल के लिए एग्ज़ाम दे सकते हैं. इसमें भी दो ग्रुप होते हैं. वहीं विषय एडवांस्ड होते हैं जैसे- फ़ाइनेंशियल रिपोर्टिंग, स्ट्रैटेजिक फ़ाइनेंशियल मैनेजमेंट, डायरेक्ट टैक्स, इनडायरेक्ट टैक्स, ऑडिट, लॉ, स्ट्रैटेजिक कॉस्ट मैनेजमेंट.

दिव्य प्रकाश बताते हैं कि इनमें से हर पेपर में कम से कम 40 फ़ीसदी अंक लाना ज़रूरी है. वहीं, सब विषयों के कुल अंक 50 फ़ीसदी होने चाहिए.
वह समझाते हैं, "मान लीजिए ग्रुप 1 में चार पेपर हैं. हर पेपर में 40 फ़ीसदी तो चाहिए ही चाहिए और चारों पेपर का कुल औसत 50 फ़ीसदी आना चाहिए."
मगर कोई स्टूडेंट अगर एक पेपर में फेल हो जाए तो क्या होता है?
इसपर दिव्य प्रकाश कहते हैं, "अगर एक ग्रुप में एग्रीगेट 50 फ़ीसदी नहीं बनता या किसी पेपर में 40 फ़ीसदी से कम आते हैं तो उस स्थिति में पूरा ग्रुप दोबारा देना होता है. लेकिन अगर एग्रीगेट नहीं बना पर सभी विषयों में 40 फ़ीसदी अंक हैं, तो फिर एग्ज़म्पशन सिस्टम होता है."
उन्होंने बताया कि यदि किसी एक पेपर में 60 फ़ीसदी या उससे ज़्यादा आ जाएं, तो वो एग्ज़म्प्ट हो जाता है, अगले तीन अटेम्प्ट तक. यानी इस दौरान उस पेपर के अलावा बाकी पेपर देकर ग्रुप क्लियर कर सकते हैं.
मगर ऐसा नहीं है कि अगर कोई फ़ाइनल कोर्स के किसी एग्ज़ाम में सफल नहीं हुआ है तो उसे ये कोर्स फ़ाउंडेशन से शुरू करना पड़ेगा.
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चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा को सबसे कठिन जो बनाता है, वो है इसमें पास होने वालों की कम दर.
इसका एंट्री पॉइंट यानी फ़ाउंडेशन कोर्स ही इस बार 15.09 फ़ीसदी स्टूडेंट्स ने पास किया है. वहीं इंटरमीडिएट लेवल पर ग्रुप वन का पासिंग रेट 14.67 फ़ीसदी, ग्रुप टू का 21.51 फ़ीसदी और दोनों ग्रुप के लिए ये सिर्फ़ 13.33 फ़ीसदी था.
वहीं, अगर फ़ाइनल की बात करें तो ग्रुप वन में 22.38 फ़ीसदी, टू में 26.43 फ़ीसदी और दोनों ग्रुप में पासिंग पर्सेंटेज 18.75 फ़ीसदी रहा.
मगर इतने कम स्टूडेंट्स को सफलता मिलने की वजह क्या है.
दयाल फर्टिलाइज़र्स प्राइवेट लिमिटेड में हेड ऑफ़ फ़ाइनेंस एंड अकाउंट्स सीए दीपा बंसल कहती हैं, "सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये है कि एग्ज़ाम प्रैक्टिल सीनेरियो पर ज़्यादा रहता है. आप कितना भी किताबें पढ़ लो. आपकी प्रजेंस ऑफ़ माइंड ही काम आती है. दूसरा ये है कि इसमें आपको मल्टी एरिया की पढ़ाई करनी पड़ती है और उसका दायरा भी काफ़ी बड़ा है."
उनका कहना है कि अगर आप इनकम टैक्स को उठाते हो, या फिर जीएसटी को उठाते हो तो ये दोनों अपने आप में इतने बड़े एरिया हैं कि इन्हें कवर करना कोई आसान काम नहीं है.
सीए दीपा बंसल के मुताबिक, "आपको अकाउंटिंग भी देखना है, आपको लॉ भी देखने हैं, आपको कॉस्टिंग और फ़ाइनेंस भी देखना है. आप इन सबको पढ़कर ही चार्टर्ड अकाउंटेंट बन सकते हैं. एक स्टूडेंट को ये सारे सबजेक्ट पढ़ने हैं गहराई से पढ़ने हैं. कम समय होता है पढ़ाई के लिए, जिसकी वजह से कई बार सारे सब्जेक्ट कवर नहीं हो पाते."
उन्होंने कहा, "लॉ में सबसे ज़्यादा प्रैक्टिकल सवाल आते हैं जिसमें ये देखा जाता है कि किसी परिस्थिति में आप कौन सा निर्णय लेंगे. इसके लिए प्रैक्टिकल ट्रेनिंग चाहिए. एक स्टूडेंट के लिए थ्योरी और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग साथ-साथ करना थोड़ा मुश्किल होता है. उनके लिए टाइम मैनेजमेंट चुनौती होती है."
"दूसरा, इस परीक्षा को पास करने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप कितने भी अंक लाकर पास हो जाते हैं. इसमें आपको क्राइटेरिया दिया गया है. आपको कम से कम 40 फ़ीसदी हर विषय और कुल 50 फ़ीसदी अंक पास होने के लिए चाहिए ही चाहिए. अगर एक भी पेपर में आपको 39 आते हैं और कुल आपने 70 फ़ीसदी भी पा लिए हैं तो आप पास आउट नहीं हो सकते. आप को हर एरिया, हर पेपर को क्लियर करना है."
वह कहती हैं कि आप बिना गहराई से किसी संबंधित विषय को पढ़े चार्टर्ड नहीं बन सकते. आपके दिमाग में हर विषय पर स्पष्टता होनी ज़रूरी है. सीए बनना मुश्किल है या आसान इसका जवाब सिर्फ़ हां या न में देना संभव नहीं है. क्योंकि ये हर एक की क्षमता पर, उनकी तैयारी करने की रणनीति और माइंडसेट पर निर्भर करता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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