थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर चल रही सैन्य झड़प में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 14 लोग घायल हो गए हैं.
थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि झड़पों में एक सैन्यकर्मी और 11 नागरिक मारे गए हैं. जबकि दोनों ही पक्षों ने एक-दूसरे पर पहली गोली चलाने का आरोप लगाया है.
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले सीमा पर एक लैंडमाइन विस्फोट में एक थाई सैनिक घायल हुआ था, जिसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था.
सीमा पर गुरुवार सुबह से ही दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी हो रही है. थाईलैंड ने कहा है कि उसने कंबोडिया के सैन्य ठिकाने पर हवाई बमबारी की है.
गुरुवार को सुबह जब फ़ायरिंग शुरू हुई तो दोनों पक्षों ने एक दूसरे पहली गोली चलाने के आरोप लगाए हैं.
थाईलैंड ने कंबोडिया पर थाई गांवों और अस्पतालों पर रॉकेट दागने के आरोप लगाए हैं जबकि थाईलैंड ने कंबोडिया के कुछ ठिकानों पर हवाई बमबारी की है.
कंबोडिया ने थाईलैंड से अपने राजनयिक संबंध को कम कर दिया है और उस पर ज़रूरत से ज़्यादा बल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक बुलाने की मांग की है.
चीन ने दोनों देशों से बातचीत के मार्फत विवाद के समाधान की अपील की है और दोनों देशों के बीच निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश की है.
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कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, गुरुवार सुबह का संघर्ष स्थानीय समयानुसार, करीब 6.30 बजे तब शुरू हुआ जब थाई सैनिकों ने पहले के समझौते का उल्लंघन करते हुए सीमा के पास स्थित एक हिंदू मंदिर की ओर बढ़त बनाई और उसके चारों ओर कंटीली तार लगा दी.
इसके बाद थाई सैनिकों ने करीब 7.00 बजे एक ड्रोन छोड़ा और लगभग 8.30 बजे हवाई फ़ायरिंग की.
कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता माली सोचेटा ने 'फनम पेन्ह पोस्ट' अख़बार को बताया कि 8.46 बजे थाई सैनिकों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिससे कंबोडियाई सैनिकों के पास आत्मरक्षा के अलावा विकल्प नहीं बचा.
सोचेटा ने थाईलैंड पर अत्यधिक सैनिक तैनात करने, भारी हथियारों के इस्तेमाल और कंबोडियाई क्षेत्र पर हवाई हमले करने का भी आरोप लगाया.
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेत ने कहा है कि उनके पास जवाबी कार्रवाई करने के आलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा, "कंबोडिया सभी मुद्दों को बातचीत से हल करने के सिद्धांत को मानता रहा है लेकिन इस हालत में सैन्य आक्रामकता का जवाब सैन्य ताक़त से देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है."
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थाईलैंड की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता ने बताया कि गुरुवार सुबह स्थानीय समयानुसार 7:30 बजे कंबोडिया की सेना ने सीमा के पास थाई सैनिकों पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन तैनात किए.
इसके थोड़ी देर बाद, आरपीजी से लैस कंबोडियाई सैनिक सीमा के पास इकट्ठा हुए. थाई पक्ष के सैनिकों ने बातचीत की कोशिश की और चिल्लाकर संवाद करने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास असफल रहा.
प्रवक्ता ने बताया कि करीब 08:20 बजे कंबोडियाई सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके जवाब में थाई सैनिकों को भी कार्रवाई करनी पड़ी.
थाईलैंड ने कंबोडिया पर बीएम-21 रॉकेट लॉन्चर और तोपखाने समेत भारी हथियारों को तैनात करने का आरोप लगाया है.
थाई पक्ष का कहना है कि इस हमले से सीमा के पास बसे घरों और सार्वजनिक ढांचों को नुकसान पहुंचा है.
कंबोडिया थाईलैंड सीमा तनाव का इतिहासइस विवाद की जड़ें सौ साल से भी ज़्यादा पुरानी हैं, जब फ्रांसीसी कब्ज़े के बाद कंबोडिया की सीमाएं तय की गई थीं.
हालात 2008 में तब औपचारिक रूप से तनावपूर्ण हो गए, जब कंबोडिया ने एक विवादित क्षेत्र में स्थित 11वीं सदी के मंदिर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तौर पर पंजीकृत कराने की कोशिश की.
थाईलैंड ने इसका तीखा विरोध किया. इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार झड़पें हुईं, जिनमें सैनिकों और आम नागरिकों की मौतें हुईं.
हालिया तनाव मई में तब और बढ़ गया, जब एक झड़प में कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई. इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते पिछले एक दशक में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए.
पिछले दो महीनों में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सीमा संबंधी पाबंदियां लगाई हैं. कंबोडिया ने थाईलैंड से फल-सब्ज़ी जैसी चीज़ों के आयात पर रोक लगा दी, साथ ही बिजली और इंटरनेट सेवाएं लेना भी बंद कर दिया.
पिछले कुछ हफ्तों में दोनों देशों ने सीमा पर सैनिकों की तैनाती भी बढ़ा दी है.
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बीबीसी दक्षिण एशिया संवाददाता जोनाथन हेड का कहना है कि कोई नहीं मानता कि यह टकराव पूरी तरह युद्ध में बदल जाएगा, लेकिन इस वक्त दोनों देशों में ऐसा नेतृत्व नहीं दिखता जो इस तनाव को कम करने की ताक़त और आत्मविश्वास रखता हो.
कंबोडिया में अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है. वहां के प्रधानमंत्री, पूर्व सत्ताधारी नेता के बेटे हैं और अभी तक उनकी खुद की कोई ठोस राजनीतिक पकड़ नहीं बनी है.
उनके पिता हुन सेन अब भी प्रभावशाली हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि वह इस संघर्ष को और आगे बढ़ाने को तैयार हैं ताकि अपने राष्ट्रवादी रुख़ को और मज़बूत दिखा सकें.
थाईलैंड की ओर देखें तो वहां एक अस्थिर गठबंधन सरकार है, जिसके पीछे ताक़तवर नेता ताकसिन शिनावात्रा हैं.
उनका और हुन सेन के परिवार के बीच गहरा व्यक्तिगत रिश्ता है, लेकिन हुन सेन द्वारा एक निजी बातचीत को सार्वजनिक करने के बाद उन्हें धोखा महसूस हुआ.
इसी लीक की वजह से उनकी बेटी और प्रधानमंत्री पिंटोन्गताकूना कॉर्नवॉन्ग को संवैधानिक अदालत ने निलंबित कर दिया. ऐसे में थाई पक्ष में काफ़ी नाराज़गी है.
अब देखना यह होगा कि क्या आसियान के अन्य सदस्य इस टकराव में दखल देते हैं और दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए मनाते हैं.
आसियान का उद्देश्य ही अपने सदस्य देशों के बीच टकराव को टालना रहा है और इस समय यह कुछ सदस्य देशों की प्राथमिकता होगी कि वे थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह विवाद सुलझवाएं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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