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भारतीय टीम में शामिल होने के लिए किया बहुत संघर्ष, सूर्यकुमार बोले- दोस्तों से बातें करना तक….

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Suryakumar Yadav (Image Credit- Twitter X)

भारतीय टीम के लिए खेलने वाले सूर्यकुमार यादव टी20 फॉर्मेट के बहुत शानदार खिलाड़ी हैं। इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस से अपना करियर शुरू करने वाले यादव कुछ वक्त के लिए कोलकाता नाइट राइडर्स में भी थे। हालांकि, 2018 में वह दोबारा मुंबई इंडियंस में आ गए और अब वहां पर बेहतरीन खेल दिखा रहे हैं।

सूर्यकुमार ने भारतीय टीम के लिए टी20 फॉर्मेट में अपना डेब्यू मार्च 2021 में 30 साल की उम्र में किया था। अब वह टी20 में नीली जर्सी का नेतृत्व करते हैं। सूर्यकुमार यादव अपनी पत्नी देविशा शेट्टी के साथ हाल में ही ‘हु इस द बॉस’ टॉक शो में नजर आए। यह टॉक शो पूर्व भारतीय दिग्गज गेंदबाज हरभजन सिंह एवं उनकी पत्नी गीता बसरा होस्ट करते हैं।

इस दौरान सूर्यकुमार यादव ने अपने करियर व संघर्षों पर बात करते हुए अपने अनुभव साझा किए, और साथ ही उन्होंने भारतीय खेमे में शामिल होने के दौरान होने वाले मानसिक दबावों से निपटने में अपनी पत्नी देविशा के सहयोग एवं भूमिका की भी बात की।

उन्होंने कहा, “2016 के आसपास में अपनी जिंदगी से संतुष्ट था, जो हो रहा था, सब ठीक था। मैं क्रिकेट का आनंद ले रहा था लेकिन, धीरे-धीरे एहसास हुआ कि एक बड़ा स्तर और है। मैं रन बना रहा था, फिर भी भारतीय टीम में जगह क्यों नहीं मिल रही, यही सोचता रहता था। उसी वक्त मैडम (देविशा) मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ लाए। “

दोस्तों का सर्किल छोटा कर, रात देर तक बाहर घूमना किया बंद

सूर्या ने आगे कहा, “मैंने अपने दोस्तों का सर्किल छोटा कर दिया। रात देर तक बाहर घूमना और वीकेंड पर पार्टी करना बंद कर दिया। हमने क्वालिटी प्रैक्टिस सेशन पर फोकस किया और अपनी जिंदगी को अनुशासित किया। 2018 का सीजन अच्छा गया। फिर 2019 उससे भी बेहतर गया, और 2020 तो जैसे सोने पर सुहागा था। 2018 से ही ग्राफ ऊपर चढ़ना शुरू हुआ क्योंकि, दरवाजा अपने आप नहीं खुल रहा था तो हमने उसे मिलकर तोड़ दिया।”

मुझे लगा उन्हें कोई हल्का सा धक्का नहीं दे रहा- देविशा

देविशा ने शो पर बात करते हुए अपने पति की सफलता में अपनी भूमिका पर चर्चा की। हालांकि, उन्होंने सारा क्रेडिट खुद लेने से इनकार कर दिया। देविशा बोलीं, “जब हमारी शादी हुई, तब उनके अंदर यह भावना तो थी, कि और आगे जाना है। कुछ बड़ा करना है। लेकिन, वह चाहत उतनी मजबूत नहीं थी, जितनी होनी चाहिए। मैंने देखा कि, कोई भी उन्हें वह हल्का सा धक्का नहीं दे रहा, जो उन्हें चाहिए था। दोस्तों के साथ मस्ती अच्छी है। लेकिन, वह आपके काम में बाधा नहीं बननी चाहिए। यही उन्हें समझाने में मुझे एक साल लगा।”

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