शेयर मार्केट में लगातार गिरावट हो रही है. डोमेस्टिक फैक्टर्स के साथ साथ ग्लोबल मार्केट की खबरें भी बाज़ार को प्रभावित कर रही हैं. इस सप्ताह याने 04 अगस्त से शुरू हुए सप्ताह में निफ्टी में ज़बरदस्त गिरावट हुई. निफ्टी शुक्रवार को 233 अंकों की गिरावट के साथ 24363 के लेवल पर बंद हुआ. इस सप्ताह निफ्टी का हाई 24,734 का लेवल रहा और निफ्टी का लो लेवल 24363 रहा. इस तरह निफ्टी में इस सप्ताह निफ्टी -0.82% की गिरावट में रहा.
निफ्टी 50 और सेंसेक्स लगातार पिछले छह सप्ताह से नुकसान गिरावट में हैं, जो अप्रैल 2020 के COVID-19 के बाद से उनकी सबसे लंबी गिरावट का सिलसिला है. जून के अंत से दोनों में लगभग 5% की गिरावट आई है, जो अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी, कमजोर कॉर्पोरेट अर्निंग और विदेशी निवेशकों याने एफआईआई की लगातार सेलिंग से प्रभावित है, जिसने व्यापक आधार पर बिकवाली को बढ़ावा दिया.
टैरिफ के झटके से निर्यातकों को झटका लगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद निर्यात वाले स्टॉक में भारी गिरावट आई. उन्होंने भारतीय निर्यात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया.
रूस के साथ भारत के निरंतर ऑइल ट्रेड के प्रतिशोध में उठाए गए इस कदम ने निवेशकों के विश्वास को एक और झटका दिया. मॉर्गन स्टेनली ने चेतावनी दी है कि अकेले भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात उद्योग को 24,000 करोड़ रुपये का संभावित नुकसान हो सकता है.
ब्रोकरेज फर्म ने कहा, "प्रेसिडेंट ट्रंप द्वारा टैरिफ को दोगुना करके 50% करने के कारण भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यातक अमेरिकी ऑर्डर निर्माण रोक रहे हैं, जिससे बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इससे निर्यात में गिरावट, नौकरियों में कमी आ सकती है."
एफआईआई ने बिकवाली कीविदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के लगातार दसवें सत्र में नेट सेलर्स बने रहने से बिकवाली तेज हो गई. FII अगस्त में अब तक 15,950 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली कर चुके हैं. एफआईआई की लगातार बिकवाली भारतीय बाज़ारों के लिए चिंता है.
एफआईआई की बिकवाली आगे भी जारी रही तो बाज़ार में आगे और कमज़ोरी देखी जा सकती है और निफ्टी 23500 के लेवल तक आ सकता है. बाज़ार के संभलने के लिए अब एफआईआई का बायर्स टर्न होना ज़रूरी हो गया है.
निफ्टी 50 और सेंसेक्स लगातार पिछले छह सप्ताह से नुकसान गिरावट में हैं, जो अप्रैल 2020 के COVID-19 के बाद से उनकी सबसे लंबी गिरावट का सिलसिला है. जून के अंत से दोनों में लगभग 5% की गिरावट आई है, जो अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी, कमजोर कॉर्पोरेट अर्निंग और विदेशी निवेशकों याने एफआईआई की लगातार सेलिंग से प्रभावित है, जिसने व्यापक आधार पर बिकवाली को बढ़ावा दिया.
टैरिफ के झटके से निर्यातकों को झटका लगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद निर्यात वाले स्टॉक में भारी गिरावट आई. उन्होंने भारतीय निर्यात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया.
रूस के साथ भारत के निरंतर ऑइल ट्रेड के प्रतिशोध में उठाए गए इस कदम ने निवेशकों के विश्वास को एक और झटका दिया. मॉर्गन स्टेनली ने चेतावनी दी है कि अकेले भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात उद्योग को 24,000 करोड़ रुपये का संभावित नुकसान हो सकता है.
ब्रोकरेज फर्म ने कहा, "प्रेसिडेंट ट्रंप द्वारा टैरिफ को दोगुना करके 50% करने के कारण भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यातक अमेरिकी ऑर्डर निर्माण रोक रहे हैं, जिससे बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इससे निर्यात में गिरावट, नौकरियों में कमी आ सकती है."
एफआईआई ने बिकवाली कीविदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के लगातार दसवें सत्र में नेट सेलर्स बने रहने से बिकवाली तेज हो गई. FII अगस्त में अब तक 15,950 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली कर चुके हैं. एफआईआई की लगातार बिकवाली भारतीय बाज़ारों के लिए चिंता है.
एफआईआई की बिकवाली आगे भी जारी रही तो बाज़ार में आगे और कमज़ोरी देखी जा सकती है और निफ्टी 23500 के लेवल तक आ सकता है. बाज़ार के संभलने के लिए अब एफआईआई का बायर्स टर्न होना ज़रूरी हो गया है.
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