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MRP के मामले में अब नहीं चलेगी कंपनियों की मनमानी, सरकार करने जा रही इन नियमों में बदलाव, जानें डिटेल्स

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जब भी कोई वस्तु खरीदी जाती है, तो सबसे पहले उस वस्तु का MRP यानी अधिकतम खुदरा मूल्य देखा जाता है, जिसके बाद लोग उस वस्तु को खरीदते हैं लेकिन कई बार कुछ चीजों पर MRP काफी ज्यादा लिखा होता है. वहीं दुकानदार भी इस MRP से कम से सामान डिस्काउंट बताकर दे देते हैं. ऐसी स्थिती में क्या दुकानदार को फायदा होगा या ग्राहक को नुकसान होगा? इन्हीं सभी कंन्फूजन को दूर करने के लिए अब सरकार MRP के नए नियम लाने की तैयारी कर रही है. आइए जानते हैं.



MRP को लेकर सरकार के नियमकेंद्र सरकार अब MRP के नियम में बड़े बदलाव करने वाली है, जिससे उपभोक्ताओं को वस्तुओं की असली कीमत पता चलें और पारदर्शिता बढ़े. दरअसल, अभी तक कंपनियां अपनी मर्जी से MRP छांपती हैं. साथ में कंपनियों को वस्तु के निर्माण की लागत और मुनाफे के बारे में कोई जानकारी भी नहीं देनी होती है लेकिन अब सरकार ऐसे निर्देश जारी करने की तैयारी कर रही है, जिसमें कंपनियों को अपने प्रोडक्ट की MRP को प्रोडक्ट की लागत और मार्केटिंग लागत से जोड़ना होगा.



दरअसल, 16 मई को उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उद्योग संगठनों, उपभोक्ता समूहों और टैक्स अधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक की थी. उस बैठक में MRP की मौजूदा सिस्टम पर सवाल उठाए गए. ऐसे में अब सरकार MRP के लिए नए नियम लाने की तैयारी कर रही है.



क्या कहता है अभी का नियम

कानूनी मापविज्ञान अधिनियम 2009 के तहत, उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय पैकेज्ड सामानों पर वजन, माप और लेबल की जांच करता है जिससे पारदर्शिता और उपभोक्ता हितों की रक्षा हो लेकिन ये अधिनियम कीमत तय करने का कोई तरीका नहीं बताता है. ऐसे में सरकार इस नियम में बदलाव करने की तैयारी में है.



आपको बता दें कि भारत में वस्तुओं की MRP बताना जरूरी है लेकिन कीमत निर्माता ही तय करते हैं. केवल जरूरी सामानों को छोड़कर सरकार ही कीमतों पर नियंत्रण करती है.

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