भारत में कई प्राचीन मंदिर हैं, जो अपनी विशेषताओं और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में पूजा की विधि और अनुशासन भिन्न होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी मंदिर में पूजा करने के लिए पुरुषों को महिला का रूप धारण करना पड़ता है? हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों में महिलाओं के लिए कुछ नियम हैं, जैसे मासिक धर्म के दौरान उनका मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है।
मंदिर में प्रवेश हेतु स्त्रियों का वेश धारण करना जरूरी
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। यदि वे पूजा करना चाहते हैं, तो उन्हें स्त्री का रूप धारण करना होगा। यह मंदिर केरल के कोट्टनकुलगंरा श्रीदेवी मंदिर में स्थित है, जहां विशेष त्योहारों के दौरान पुरुषों को देवी माता की पूजा करने के लिए स्त्री का रूप लेना अनिवार्य है।
पुरुष सोलह सिंगार करते हैं स्त्रियों की तरह
इस मंदिर में हर साल चाम्याविलक्कू त्योहार मनाया जाता है, जिसमें पुरुष भी शामिल होते हैं। कोट्टनकुलगंरा देवी मंदिर में पुरुषों के लिए एक विशेष स्थान है, जहां वे अपने कपड़े बदलते हैं और सोलह सिंगार करते हैं। उन्हें साड़ी, आभूषण और मेकअप के साथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है।
इस मंदिर की पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ चरवाहों ने जब पहली बार इस मूर्ति को देखा, तो उन्होंने स्त्री के कपड़े पहनकर फूल अर्पित किए, जिससे वहां एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई। इसके बाद उस स्थान को मंदिर का रूप दिया गया। यह मंदिर केरल का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पुरुषों को स्त्री का रूप धारण करना पड़ता है।
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