Premanand Maharaj: कथावाचक प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) काफी पॉपुलर हैं। सोशल मीडिया पर अक्सर उनके वीडियो वायरल होते रहते हैं, जिन्हें लोग खूब पसंद करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज अपने वीडियो में लोगों को सही रास्ते पर चलने के साथ-साथ आध्यात्म से जुड़ने को लेकर लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज से आए दिन बड़ी-बड़ी हस्तियां मिलने आती रहती हैं। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत उनके आश्रम पहुंचे थे। वहीं दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा और बेटी वामिका के साथ उनके आश्रम पहुंचे थे।
प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) का क्रेज युवाओं में भी बहुत ज्यादा है। युवा भी उन्हें खूब सुनते हैं और उनके वीडियो भी शेयर करते हैं। वहीं प्रेमानंद जी महाराज को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि उनकी उम्र कितनी है, उन्होंने कब घर छोड़ा? चलिए इस आर्टिकल में हम आपको इन सब सवालों का जवाब देते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज ने 11 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर
बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) का पूरा नाम प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज है। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरसौल के अखरी गांव के रहने वाले हैं। महाराज जी का जन्म सात्विक ब्राह्मण (पाण्डे) परिवार में हुआ था और उनकी असली नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डे था। उनके दादा संन्यासी और पिता शंभु पाण्डे का भी आध्यात्मिक की ओर खासा झुकाव था, लिहाजा बाद में भी उन्होंने संन्यास ले लिया था। प्रेमानंद महाराज बड़ी कम उम्र से ही चालीसा पाठ करने लगे थे और जब वह पांचवी कक्षा में थे, तब वह गीता प्रेस प्रकाशन की श्री सुख सागर पढ़ने लगे थे। वह इस उम्र में जीने की असली वजह तलाशने लगे थे। उन्होंने तब स्कूल में पढ़ने और भौतिकवादी ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर सवाल उठाया और बताया कि यह कैसे उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
आधी रात को घर से इन चीजों को लेकर भागे थे
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) ने नौवीं कक्षा में आने पर तय कर लिया था कि वह अब आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ेंगे, जो कि उन्होंने ईश्वर तक लेकर जाएगा। वह इसके लिए घर त्यागने को भी तैयार थे। उन्होंने इस बारे में मां को भी सूचित किया था। 13 साल की उम्र में तड़के तीन बजे वह अपना घर छोड़कर चले गए थे। उस समय वह घर से गीता, कुशा का आसन, एक पीतल का लोटा और एक चादर लेकर भागे थे। उन्होंने नैष्ठिक ब्रह्मचर्य शुरू कर दिया था और वह तब आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी के नाम से जाने जाते थे।
साधना के बीच किसी को नहीं बनने देते थे अवरोध
प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) ने आगे चलकर संन्यास ले लिया और महावाक्य स्वीकर करने पर उन्हें स्वामी आनंदाश्रम नाम मिला। आध्यात्मिक साधक के रूप में तब उनके जीवनकाल का अधिकतम समय गंगा नदी के किनारे बीतता था। रोचक बात है कि वह इस दौरान न तो खाने-कपड़ों की चिंता करते और न ही मौसम की वजह से परेशान होते थे। खराब मौसम या फिर जाड़े के समय में भी वह तीन बार गंगा स्नान किया करते थे। यहीं नहीं, कहा जाता है कि वह कई-कई दिन तक उपवास पर रहते थे और यह भगवान शिव की ही दया रहती थी कि ठंड में कांपते शरीर के साथ भी परम (हरछण ब्रह्माकार वृत्ति) के ध्यान में पूरी तरह से लीन रहते थे।
Premanand Maharaj की दोनों किडनियां हो चुकी हैं फेल
बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Maharaj) की दोनों किडनियां फेल हैं। उनका हर दिन डायलिसिस होता है। महाराज जी ने अपनी दोनों किडनियों का नाम राधा और कृष्ण रखा है। एक मीडिया रिपोर्ट ने प्रेमानंद महाराज के आश्रम के सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रेमानंद महाराज की उम्र करीब 60 वर्ष के आसपास है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराज काफी समय तक काशी में रहे और फिर वृंदावन आए। जिसके चलते उनकी उम्र एकदम सटीक बताना मुश्किल हैं।
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