नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। जिसमें कहा गया है कि हाईवे पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के अचानक गाड़ी रोकना लापरवाही माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। जिसमें कहा गया है कि हाईवे पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के अचानक गाड़ी रोकना लापरवाही माना जाएगा। यह फैसला एक सड़क हादसे की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकत से अन्य वाहनों को गंभीर खतरा हो सकता है। खासकर तब जब कोई संकेत दिए बिना गाड़ी रोकी जाए।
हाईवे की गति को समझते हुए सतर्कता जरूरी
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हाईवे तेज रफ्तार वाहनों के लिए बनाए गए होते हैं। और ऐसे में अचानक रुकना न सिर्फ खुद ड्राइवर के लिए, बल्कि पीछे आ रहे अन्य वाहनों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत के कई हाईवे पर शोल्डर या स्पीड ब्रेकर के संकेत नहीं होते। इसलिए ड्राइवर को और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
आपात स्थिति हो तो भी चेतावनी देना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि अगर कोई मजबूरी या इमरजेंसी की वजह से गाड़ी रोकनी भी पड़े, तब भी ड्राइवर की जिम्मेदारी बनती है कि वह पीछे आ रहे वाहनों को किसी न किसी तरीके से अलर्ट करें। बिना चेतावनी के अचानक ब्रेक लगाने से दुर्घटना की जिम्मेदारी ड्राइवर पर ही आती है।
रफ्तार की सड़क पर सावधानी जरूरी है – सुप्रीम कोर्ट
न्यायालय की पीठ ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा, “हाईवे पर तेज रफ्तार सामान्य बात है। अगर ड्राइवर को रुकना है, तो उसे बाकी लोगों को अलर्ट करना चाहिए। यह उसकी जिम्मेदारी है।” यह टिप्पणी तमिलनाडु में हुए एक हादसे से जुड़ी थी, जिसमें एक इंजीनियरिंग छात्र की टांग काटनी पड़ी थी।
2017 का मामला: अचानक रुकी कार से शुरू हुई दुर्घटना
यह मामला 2017 में कोयंबटूर का है, जहां एस मोहम्मद हकीम नाम के छात्र की बाइक अचानक एक कार से टकरा गई, जो बिना चेतावनी के रुक गई थी। टक्कर के बाद हकीम सड़क पर गिर गया और पीछे से आ रही बस ने उसे कुचल दिया। बाद में कार ड्राइवर ने बताया कि उसकी गर्भवती पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी, इसलिए उसने गाड़ी रोकी थी।
कार ड्राइवर को मुख्य जिम्मेदार ठहराया गया
हालांकि हकीम पर भी यह आरोप लगा कि वह लाइसेंस के बिना बाइक चला रहा था और उचित दूरी नहीं बनाए हुए था। लेकिन कोर्ट ने माना कि इस पूरे हादसे की शुरुआत कार के अचानक रुकने से हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कार ड्राइवर को 50 प्रतिशत जिम्मेदार, बस ऑपरेटर को 30 प्रतिशत जिम्मेदार, और हकीम को 20 प्रतिशत जिम्मेदार माना।
पहले के फैसले पलटे
इससे पहले मोटर एक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने कार ड्राइवर को पूरी तरह क्लीन चिट दी थी और बस ड्राइवर व हकीम को जिम्मेदार माना था। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने कार ड्राइवर पर थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी डाली। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब स्पष्ट रूप से कार ड्राइवर को सबसे बड़ी गलती का कारण माना है।
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