भारत में वैसे तो कई पहलवान हैं, लेकिन एक पहलवान ऐसा भी था जिसे अपना गुरु मानते हैं। यह पहलवान ने अपने जीवन में एक भी लड़ाई नहीं हारा। इनकी शोहरत का डंका विदेशों तक बजा। यहां तक कि चीन के फेमस ब्रूसली भी इनसे प्रभावित थे। दरअसल हम यहां जिस पहलवान की बात कर रहे हैं दुनिया उन्हें द ग्रेट गामा (The Great Gama) और रुस्तम-ए-हिन्द के रूप में जानती है।
22 मई को गामा पहलवान (Gama Pehalwan) का 144वां जन्मदिन था। इस मौके पर गूगल ने भी उनका डूडल बनाकर उन्हें सम्मान दिया। गामा पहलवान अमृतसर के रहने वाले थे। यहीं 22 मई 1878 को उनका जन्म हुआ था। जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वह अपनी फैमिली के साथ लाहौर शिफ्ट हो गए थे।
10 साल की उम्र में शुरू की पहलवानीगामा जब 10 साल के थे तभी से पहलवानी करना शुरू कर दी थी। दरअसल ये उनके खून में था। उनके पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी एक पहलवान थे। उन्होंने गामा को बचपन से ट्रेनिंग देना शुरू कर दी थी। वहीं पहलवानी की बारीकियाँ उन्होंने मशहूर पहलवान माधो सिंह से सीखी थी। इसके बाद दतिया के महाराजा भवानी सिंह की छत्रछाया में रहकर उन्होंने अपनी कुश्ती को और निखारा।
गामा पहलवान का करियर लगभग 52 साल का रहा। इस दौरान उन्होंने कई पहलवानों को धूल चटाई। किसी से भी नहीं हारे। पहलवानों से भिड़ने के लिए वह तगड़ी ट्रेनिंग भी करते थे। जैसे वह रोजाना 5000 बैठक और 1000 पुशअप लगाते थे। इतनी मेहनत के बाद उनकी डाइट भी जोरदार होती थी। वह एक दिन में 6 देसी मुर्गे, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी, बादाम का शरबत और 100 रोटी चट कर जाते थे।
विदेशों में भी बजता था शोहरत का डंकाकहा जाता है कि गामा पत्थर के डंबल उठाकर व्यायाम किया करते थे। चीन के फेंस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी गामा के फैन थे। उनसे ही प्रेरणा लेकर ब्रूस ली ने अपनी मजबूत बॉडी बनाई थी। वे गामा पहलवान की कसरत से जुड़े आर्टिकल्स पढ़ते थे और फिर उनका अभ्यास करते थे। दंड-बैठक लगाना । ब्रूस ली ने गामा पहलवान से ही सीखा था।
गामा पहलवान ने देश और विदेशों के कई पहलवानों से कुश्ती लड़ी। उन्होंने सभी को चारों खाने चित्त कर दिया। वे 1910 में अपने रेसलर भाई इमाम बख्श के साथ जब लंदन गए थे। यहां इंटरनेशनल चैंपियनशिप चल रही थी। लेकिन उन्होंने इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि इस दौरान उन्होंने लंदन के सभी नामी पहलवानों को खुली चुनौती दी थी। उनकी चुनौती अमेरिकी चैंपियन बेंजामिन रोलर ने स्वीकार की थी। गामा ने तो उन्हें सिर्फ 1 मिनट, 40 सेकंड में ही हर दिया था।
वहीं 1895 का गामा का मुकाबला भी बड़ा याद किया जाता है। तब वे सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से लड़े थे। रहीम 6 फुट 9 इंच के हट्टे कट्टे लंबे पहलवान थे। दूसरी तरफ गामा सिर्फ 5 फुट 7 इंच के थे। लेकिन फिर भी गामा ने रहीम को जोरदार टक्कर दी। तब ये मुकाबला ड्रॉ रहा था। इसी लड़ाई के बाद वे दुनियाभर में फेमस हुए थे। गामा पहलवान का 1963 में निधन हो गया था। वह लंबी बीमारी से सूझ रहे थे।
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