नई दिल्ली,11 मई . भारत-पाक के सीजफायर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की ओर से पीएम मोदी की नीतियों की तारीफ की है. कांग्रेस नेता सचिन पायलट से जब इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने सीधा जवाब देने की बजाए वर्तमान सरकार की नीतियों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए. बस अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता की एक बात से इत्तेफाक रखा कि एक देश के तौर पर हम कभी भी हिंसा के पक्ष में नहीं रहे हैं और शांति और समृद्धि चाहते हैं.
रविवार को समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हमारे देश के इतिहास में हमने कभी किसी दूसरे देश पर हमला नहीं किया है या किसी दूसरे देश से जमीन नहीं मांगी है. हम संप्रभुता का सम्मान करते हैं, लेकिन हम अनिश्चित काल तक आतंक का शिकार नहीं बन सकते. आतंक को हमेशा के लिए जड़ से उखाड़ने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए. इस संबंध में हमने सरकार का समर्थन किया है, लेकिन संघर्ष विराम भी उसी तरह होना चाहिए था. लेकिन, जिस तरह से अमेरिका ने इसमें मध्यस्थता की. अमेरिका अब जम्मू-कश्मीर के मुद्दों के सुलझाने की बात कर रहा है. ऐसे मामलों पर सरकार को जवाब देना चाहिए.
सचिन पायलट ने कहा कि यह अभूतपूर्व है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. हमारे द्विपक्षीय मामलों में किसी तीसरे पक्ष को शामिल करना हमारी विदेश नीति से अलग है. मेरी राय में, कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले आए. सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए, क्योंकि हमने पहले कभी इसे स्वीकार नहीं किया. यह द्विपक्षीय मुद्दा है और पीओके भारत का हिस्सा है. 1994 में भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि पीओके भारत का हिस्सा है.
सचिन पायलट ने कहा कि 1971 में जब युद्ध छिड़ा था, तब अमेरिका ने कहा था कि हम बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा भेज रहे हैं. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आगे बढ़ीं और वो किया जो देशहित में जरूरी था. आज हम उन्हें याद कर रहे हैं. जब संसद पर हमला हुआ था, तब अटल जी प्रधानमंत्री थे और सोनिया गांधी नेता प्रतिपक्ष थीं. उन्होंने सदन में खड़े होकर कहा था कि पूरा देश और पूरा विपक्ष सरकार के साथ है. उन्हीं परंपराओं को कायम रखते हुए प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी और तमाम दलों ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार को पूरा समर्थन दिया था. लेकिन, कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका की तरफ से जो बयान आए हैं, उस पर भी सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए, क्योंकि यह द्विपक्षीय मुद्दा है.
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम ने सर्वदलीय बैठक पर कहा, वर्तमान हालात को देखते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए और 1994 के प्रस्ताव को दोबारा दोहराना चाहिए. पिछले कई दशकों से हमारी विदेश नीति बड़ी स्पष्ट थी. उसमें मध्यस्थता, समझौते और तीसरे पक्ष के शामिल होने की बात नहीं होती थी. हमारे सैनिकों ने पिछले दिनों जिस ताकत, शौर्य और कार्यकुशलता से पाकिस्तान को मजा चखाने का काम किया है, उस पर हम सभी को नाज और फर्क है.
दरअसल, एक अंग्रेजी दैनिक में पी. चिदंबरम का कॉलम छपा जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की आतंक विरोधी नीतियों की तारीफ करते हुए लिखा कि बीते 11 साल के कार्यकाल में तीन बड़े आतंकवादी हमले हुए. पठानकोट, पुलवामा और पहलगाम और हर बार सरकार ने संजीदगी से इसे डील किया. उन्होंने अपने कॉलम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युद्ध नीति को सराहा और भारत द्वारा पाकिस्तान को दिए गए जवाब को ‘बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित’ करार दिया.
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डीकेएम/केआर
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