नई दिल्ली, 27 मई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए देश की जनता से विदेशी सामान नहीं खरीदने की अपील की और साथ ही आत्मनिर्भरता पर जोर देने की अपील की. पीएम मोदी ने चीन का बिना नाम लिए ही कड़ा संदेश भी दे दिया और साथ ही जनता के समझा भी दिया कि स्वदेशी समान का इस्तेमाल क्यों करें.
‘गुजरात शहरी विकास योजना’ के 20वीं वर्षगांठ समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल की ताकत से शुरू हुआ था. अब यह जनबल से आगे बढ़ेगा. यानी जनबल का मेरा मतलब होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बनें. हम इतना तय कर लें कि 2047 जब भारत की आजादी के 100 साल होंगे. विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की अर्थव्यवस्था को चौथे से तीसरे स्थान पर ले जाने के लिए, अब हम कोई विदेशी चीज का इस्तेमाल नहीं करेंगे. हम गांव-गांव में व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना भी मुनाफा क्यों न हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे. लेकिन, दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेश से आ जाते हैं, वो भी छोटी आंख वाले गणेश जी, गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है. होली के लिए रंग और पिचकारी भी विदेश से आती है.
पीएम मोदी ने बिना नाम लिए चीन को संदेश देने की कोशिश की, क्योंकि चीनी उत्पाद त्योहारी सीजन में धड़ल्ले से भारत के बाजारों में बिकते हैं.
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के लिए मुझे एक नागरिक के नाते काम करना है. आप घर में जाकर सूची बनाएं. आपके घर में 24 घंटे में कितनी विदेशी चीजों का इस्तेमाल होता है. घरों में हेयरपिन, टूथपिक तक विदेशी चीजें पहुंच रही हैं. हमें मालूम तक नहीं है. देश को बचाना और बनाना है तो ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैनिक की जिम्मेदारी नहीं है, ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की भी जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि आज से 20-25 साल पहले कोई विदेश से आता था तो उनको लिस्ट भेजते थे कि ये सामान ले आना. आज जो विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कुछ लाना है. तो इधर वाले कहते हैं कि यहां सब उपलब्ध है, कुछ मत लाओ. हमें मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए. ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से शुरू हुआ था और अब इसे जन बल से सफल बनाना है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए भारतीय सेना के शौर्य की तारीफ की. उन्होंने कहा, “यह वीरों की भूमि है. अब तक जिसे हम छद्म युद्ध कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखने को मिला, उसके बाद हम अब इसे छद्म युद्ध कहने की गलती नहीं कर सकते. कारण स्पष्ट है: जब मात्र 22 मिनट के भीतर नौ आतंकवादी ठिकानों की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया गया, तो यह एक निर्णायक कार्रवाई थी. और इस बार सब कुछ कैमरों के सामने किया गया, ताकि घर पर कोई सबूत न मांग सके.”
उन्होंने कहा, “6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उनके जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया. उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया. ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये आपकी (पाकिस्तान) सोची-समझी युद्ध की रणनीति है, आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा.”
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एसके/जीकेटी
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