नई दिल्ली, 3 जुलाई . योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक प्रभावी माध्यम है. इनमें से एक महत्वपूर्ण योग मुद्रा है ‘हलासन’, जिसे अंग्रेजी में ‘प्लो पोज’ के नाम से जाना जाता है. हलासन न केवल मांसपेशियों को लचीलापन प्रदान करता है, बल्कि तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने और तनाव दूर करने में भी कारगर है.
आयुष मंत्रालय के अनुसार, हलासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में व्यापक सुधार देखने को मिलता है.
‘हलासन’ दो शब्दों ‘हल’ और ‘आसन’ से मिलकर बना है. ‘हल’ भारतीय कृषि में खेतों की जुताई के लिए उपयोग होने वाला पारंपरिक उपकरण है. इस आसन में शरीर की आकृति हल के समान बनती है, इसलिए इसे ‘हलासन’ कहा जाता है. योग शास्त्र में प्रत्येक आसन का नाम उसकी मुद्रा के आधार पर रखा जाता है, और हलासन भी इसका एक उदाहरण है. यह आसन गर्दन, कंधे, पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है.
आयुष मंत्रालय के अनुसार, हलासन के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. यह मांसपेशियों को लचीला बनाता है और तंत्रिका तंत्र (न्यूरो सिस्टम) को दुरुस्त रखता है. यह तनाव और थकान को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है. इसके अतिरिक्त, हलासन थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को बेहतर करता है, जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. हलासन का नियमित अभ्यास पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि हलासन करने की सही विधि क्या है? इसके लिए पीठ के बल लेटें और दोनों पैरों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर से जमीन की ओर ले जाएं. इस दौरान हाथों को शरीर के साथ रखें या पीठ को सहारा दें. इस मुद्रा में कुछ सेकंड तक रुकें और गहरी सांस लें. इस आसन का अभ्यास धीरे-धीरे और योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए, खासकर जब शुरुआत की हो.
हलासन स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद है. हालांकि, हलासन का अभ्यास करते समय कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं. गर्भवती महिलाओं, हाई ब्लड प्रेशर या गर्दन, पीठ दर्द की समस्या वाले व्यक्तियों को यह आसन करने से बचना चाहिए. शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.
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एमटी/केआर