New Delhi, 31 अगस्त . भारतीय सेना ने पूर्वी हिमालय के कठिन भूभाग और भीषण मौसमीय परिस्थितियों में अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया है. सेना के जवानों ने अरुणाचल प्रदेश में आयोजित सैन्य अभ्यास ‘युद्ध कौशल 3.0’ के तहत यह प्रदर्शन व प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किया है.
Sunday को इस संबंध में जानकारी देते हुए सेना ने बताया कि भारतीय सेना ने युद्ध कौशल 3.0 में मल्टी डोमेन क्षमता ड्रोन सर्विलांस, रियल-टाइम टारगेट व लाइव अटैक का प्रदर्शन किया.
अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में आयोजित इस अभ्यास को गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ने प्रत्यक्ष रूप से देखा. इसमें सैनिकों ने उन्नत तकनीक, संचालनात्मक नवाचार और पेशेवर उत्कृष्टता का अद्भुत तालमेल प्रदर्शित किया.
इस बड़े स्तर के युद्धाभ्यास में भारतीय सेना ने बहु-क्षेत्रीय यानी मल्टी डोमेन अभियानों की क्षमता को रेखांकित किया. इन अभियानों में ड्रोन निगरानी, रियल टाइम लक्ष्य निर्धारण, सटीक प्रहार, वायु-तटीय प्रभुत्व और समन्वित युद्धक रणनीतियों का सफल प्रदर्शन शामिल रहा.
इस दौरान हाल ही में गठित अशनी प्लाटून ने पहली बार संचालनात्मक भागीदारी करते हुए दिखाया कि कैसे अगली पीढ़ी की तकनीक और जमीनी अनुभव का मेल आधुनिक एवं भावी संघर्षों में निर्णायक बढ़त दिला सकता है. अभ्यास की एक खास विशेषता, भारतीय रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी रही. रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी भारत के “डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन” (परिवर्तन का दशक) का प्रतीक बनी.
इस साझेदारी ने दिखाया कि किस प्रकार स्वदेशी रक्षा नवाचार तेजी से रणभूमि पर बढ़त में बदल रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि सशक्त हो रही है. युद्ध कौशल 3.0 ने न केवल उच्च हिमालयी दुर्गम परिस्थितियों में सेना की युद्ध तत्परता को परखा, बल्कि यह भी दर्शाया कि भारतीय सेना मानवरहित प्रणालियों, प्रिसिजन हथियारों और बहु-क्षेत्रीय युद्ध अवधारणाओं जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस अभ्यास की सफलता भारतीय सेना की उत्कृष्टता, अनुकूलन क्षमता और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है तथा यह संदेश देती है कि भारतीय सेना आने वाली पीढ़ी के युद्धों के लिए “फ्यूचर रेडी” है.
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जीसीबी/एबीएम
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