New Delhi, 13 अगस्त . गुड़हल का फूल न केवल बाग-बगीचों की शोभा बढ़ाता है, बल्कि इसके औषधीय गुण इसे आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाते हैं. लाल, सफेद, गुलाबी, नारंगी और पीले रंगों में खिलने वाला यह फूल न सिर्फ देखने में सुंदर है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी वरदान है. आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार, गुड़हल के नियमित सेवन से कब्ज, खांसी-जुकाम, अनिद्रा, और हृदय रोग जैसी कई समस्याओं से राहत मिल सकती है.
पंजाब के बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के बीएएमएस डॉक्टर प्रमोद आनंद तिवारी (एमडी) ने बताया कि गुड़हल, जिसे हिबिस्कस भी कहा जाता है, औषधीय गुणों का खजाना है. उन्होंने कहा, “आयुर्वेद में गुड़हल को ‘जपा’ के नाम से जाना जाता है. यह पूजा-पाठ में उपयोग होने के साथ-साथ कई रोगों के इलाज में भी कारगर है.”
डॉ. तिवारी के अनुसार, आयुर्वेद में गुड़हल का विशेष महत्व है. प्रकृति का यह उपहार स्वास्थ्य समस्याओं का सरल और प्रभावी समाधान है. गुड़हल के फूल बालों की समस्याओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं. इसके फूलों की लुगदी बनाकर बालों में लगाने से डैंड्रफ दूर होता है और बाल चमकदार बनते हैं. आंवला चूर्ण के साथ मिलाकर इसका उपयोग करने से बाल लंबे समय तक काले रहते हैं. अनिद्रा से जूझ रहे लोगों के लिए गुड़हल का शर्बत रामबाण है. ताजे फूलों को मिश्री के साथ मिलाकर बनाया गया शर्बत नींद लाने में मदद करता है.
महिलाओं की समस्याओं में भी गुड़हल उपयोगी है. डॉ. तिवारी ने बताया, “गुड़हल की कली को पीसकर पीने से ल्यूकोरिया में राहत मिलती है. इसके फूलों के चूर्ण को दूध के साथ सुबह-शाम लेने से खून की कमी दूर होती है और इम्यूनिटी बढ़ती है. यह मासिक धर्म की समस्याओं में भी फायदेमंद है.”
पेट की समस्याओं और मुंह के छालों में भी गुड़हल कारगर है. डॉ. तिवारी ने सुझाया, “गुड़हल की जड़ को साफ कर छोटे टुकड़ों में चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं. इसके फूल कब्ज में राहत देते हैं, जबकि पत्तों का काढ़ा तेज बुखार, खांसी और जुकाम में लाभकारी है.” उन्होंने यह भी बताया कि गुड़हल हृदय रोगों के इलाज में भी उपयोगी है.
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एमटी/एएस
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