नई दिल्ली, 2 मई . कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शुक्रवार शाम दिल्ली में हुई. बैठक खत्म होने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश, चरणजीत चन्नी, सचिन पायलट और भूपेश बघेल ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने मोदी कैबिनेट द्वारा हाल ही में घोषित जाति जनगणना का ब्यौरा मांगते हुए पूछा कि इसकी डिटेल क्या है? प्रश्नावली कहां है? इसके लिए बजट का आवंटन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले कांग्रेस की मांग की आलोचना की और जब पूरा देश पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर शोक मना रहा है, तो अचानक जाति जनगणना करवाने का फैसला क्यों लिया गया?
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि अगर सरकार ईमानदारी से जाति जनगणना करवाना चाहती है तो तेलंगाना के मॉडल को अपनाए.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने बताया कि सीडब्ल्यूसी की पिछली बैठक के बाद सरकार को आश्वासन दिया गया था कि वह आतंक के खिलाफ और देश की एकता-अखंडता के लिए जो भी निर्णय लेगी, कांग्रेस उसके साथ है. यह एक बहुत बड़ा संकट है, जिसमें हुई सुरक्षा की चूक को देखने की जरूरत है. पहलगाम हमले में जिनकी जान गई है, सरकार उनके परिवारों को उचित मुआवजा दे, उनके री-रिहैबिलिटेशन की बात करे, उनके परिवार के लिए सरकार आगे आए. आज देश को सुरक्षित रखने में सरकार की क्षमता पर सवाल खड़े हो गए हैं. पूरा देश इंतजार कर रहा है कि पाकिस्तान जैसे देश पर, जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, सरकार कब कार्रवाई करेगी?
उन्होंने मांग की कि सरकार आगे बढ़े और जिन लोगों ने हमारे देश में आतंक फैलाया है, उनके ऊपर कार्रवाई करे. इस मामले में कांग्रेस सरकार के साथ है. हमारे जिन लोगों ने पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाई है, उनके परिवारों को मुआवजा और उनके री-रिहैबिलिटेशन के लिए काम किया जाए.
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जाति जनगणना के बारे में कहा कि पूरी भाजपा सरकार और नेताओं के तमाम विरोध के बावजूद, कई वर्षों से राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर बहुत मुखर रही. भाजपा के एक बहुत बड़े नेता का बयान आया था, ‘बंटोगे तो कटोगे’. कांग्रेस नेताओं और राहुल गांधी को अर्बन नक्सल कहा गया. वही दल, वही सरकार, जो 11 साल से सत्ता में है, जातिगत जनगणना को देश और समाज के लिए ‘जहर’ की संज्ञा दी थी. आज जनता के दबाव, कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के लगातार संसद के अंदर-बाहर इस मांग को उठाने पर, मोदी सरकार यह समझ गई कि जन भावना कांग्रेस के साथ है. देश की अधिकांश जनता भागीदारी चाहती है.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक जनगणना नहीं है, देश के अधिकांश लोग किन हालात में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, कितने लोग पढ़े-लिखे हैं, क्या काम कर रहे हैं, क्या खा रहे हैं? यह इस बात का पता करने की एक पारदर्शी और वैज्ञानिक कोशिश है. केंद्र और राज्य सरकारों के बजट का आवंटन, नीति निर्माण, सहयोग और समर्थन देना जैसे फैसले, अभी सिर्फ अंदाजे के बल पर लिए जाते थे. कोई जवाबदेही, कोई पारदर्शिता नहीं थी. सरकार मनमाने तरीके से जहां चाहे वहां बजट का पैसा और योजना लगा देती थी. पर अब वह ऐसा नहीं कर पाएगी.
उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि यह राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी, इंडिया गठबंधन के नेताओं और जनता का सम्मिलित दबाव था, जिस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने पैर पीछे खींचने पड़े. हम चाहते हैं कि बिना समय खोए सरकार यह घोषणा करे कि कितने समय में जाति जनगणना पूरी होगी और क्या मापदंड तय किए जाएंगे.
सचिन पायलट ने बताया कि इसी मूल मुद्दे पर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक लगभग दो घंटे चली, जिसमें सामाजिक न्याय को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ है.”
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पहलगाम की घटना ने पूरे देश-दुनिया को झकझोर दिया है. इस घटना के बाद पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ, पूरा विपक्ष सरकार का साथ देने के लिए तैयार है. सरकार जो भी कदम उठाए, हम सरकार के साथ हैं. लेकिन सवाल है कि पीएम मोदी क्या कदम उठा रहे हैं? उन्होंने कहा कि यह घटना 12 साल पहले छत्तीसगढ़ की घटना की याद दिलाती है, जहां नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं को नाम पूछ-पूछ कर मारा था. अब पहलगाम में भी धर्म पूछकर लोगों को मारा गया है. दोनों घटनाओं में आतंक फैलाना उद्देश्य नहीं था, बल्कि सामाजिक स्तर पर गहरा प्रभाव छोड़ना था. भारत की जनता एकजुट है और सवाल है कि सरकार क्या निर्णय लेती है तथा क्या कार्रवाई करती है.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमेशा से जातिगत जनगणना की बात करते रहे हैं. केंद्र सरकार ने अचानक यह निर्णय लिया है. उन्होंने सवाल किया कि सरकार सच में जाति जनगणना कराना चाहती है या सिर्फ ध्यान भटकाना चाहती है? सरकार का यह फैसला लेना हमारी जीत है, लेकिन महिला आरक्षण की तरह इस फैसले का भी हाल नहीं होना चाहिए. जाति जनगणना के नाम पर एक कॉलम लिख देने से कुछ नहीं होगा.
उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि हर एक व्यक्ति की शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति का आंकलन होना चाहिए. आरक्षण से 50 प्रतिशत की सीमा हटनी चाहिए. तभी सही मायने में सामाजिक न्याय की बात पूरी होगी.”
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एफजेड/एकेजे
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