बीजिंग, 21 अप्रैल . वर्ष 2025 ‘थिंकिंग एशिया’ फोरम सिंगापुर में आयोजित हुआ. चीन, सिंगापुर, जापान, भारत, थाईलैंड, अजरबैजान, फिलीपींस, पाकिस्तान और इंडोनेशिया आदि एशियाई देशों के 40 से अधिक थिंक टैंक विशेषज्ञों ने वैश्विक शासन में एशियाई बुद्धिमत्ता के योगदान पर गहन रूप से विचार-विमर्श किया.
बताया जाता है कि चीनी विदेशी भाषा प्रकाशन ब्यूरो, छिंगह्वा विश्वविद्यालय और सिंगापुर के नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने फोरम का आयोजन किया. चीन और सिंगापुर के सरकारी संगठनों, थिंक टैंक, विश्वविद्यालय और उद्यमों के करीब 200 मेहमानों ने फोरम में हिस्सा लिया. उनका मानना है कि अब दुनिया में सदी का परिवर्तन हो रहा है. एकतरफावाद और संरक्षणवाद बढ़ रहा है. अमेरिका की टैरिफ नीति से विश्व आर्थिक व्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा. एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था सक्रिय है और संस्कृतियां मिलती-जुलती हैं. हमें हाथ में हाथ डालकर चुनौतियों का सामना करना चाहिए, ताकि एशियाई बुद्धिमत्ता से विश्व शासन व्यवस्था में सुधार बढ़ सके.
फोरम में उपस्थित विशेषज्ञों ने कहा कि एशियाई देश सक्रियता से वैश्वीकरण और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ा रहे हैं. इसकी सक्रियता और लचीलापन कभी नहीं दिखा. एशिया-आसियान से केंद्रित क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण बढ़ रहा है. आरसीईपी आदि व्यवस्थाओं से व्यापारिक सुविधा और औद्योगिक सहयोग बढ़ाया गया. पश्चिमी बाजार पर निर्भरता कम हो चुकी है और क्षेत्रीय विकास की क्षमता उन्नत हुई है.
विशेषज्ञों का मानना है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एआई समेत नई प्रौद्योगिकियों का सहयोग घनिष्ठ हो रहा है. प्रतिभाओं के प्रशिक्षण, बुनियादी संस्थापनों के निर्माण और तकनीकी लोकप्रियकरण में चीन और आसियान ने प्रगति की. भविष्य में एशियाई देशों को आपसी रणनीतिक विश्वास मजबूत कर संस्थागत नवाचार और शासन क्षमता उन्नत करनी चाहिए, ताकि एशियाई बुद्धिमत्ता और एशियाई प्रस्ताव से वैश्वीकरण प्रक्रिया का नेतृत्व कर ज्यादा समावेशी और संतुलित नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण किया जा सके.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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