पेरिस, 25 अक्टूबर . फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर फिर से लेबनान में युद्ध विराम का आह्वान किया है.
उन्होंने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा, “ज्यादा से ज्यादा नुकसान, घायल, हमले न तो आतंकवाद को समाप्त कर सकेंगे, न ही सभी की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे.”
मैक्रों ने कहा कि युद्धविराम को “एक प्राथमिकता वाला कार्य” बताते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 का “सभी पक्षों द्वारा पूर्ण सम्मान और कार्यान्वयन किया जाना चाहिए” ताकि “शांति और सुरक्षा का हमारा उद्देश्य प्राप्त किया जा सके”.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, मैक्रों ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र और सैन्य सहयोगियों पर भरोसा कर रहे हैं कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) अपना कार्य पूरा कर सके और दक्षिण में लेबनान की सेना की तैनाती में सहयोग दे सके.
इसके बाद उन्होंने वादा किया कि फ्रांस लेबनान को 100 मिलियन यूरो (108 मिलियन डॉलर) की सहायता प्रदान करेगा. इसी समय, संयुक्त राष्ट्र लेबनान के लोगों की मदद के लिए 426 मिलियन डॉलर की मांग कर रहा है, जो इस समय इजरायल के बमबारी का सामना कर रहे हैं.
साथ ही गुरुवार के सम्मेलन के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारोट ने भी लेबनान को दी जाने वाली सहायता राशि की बात दोहराते हुए कहा कि लेबनान की सहायता के लिए लगभग 1 बिलियन डॉलर की धनराशि एकत्रित कर ली गई है. जिसमें मानवीय सहायता के लिए 800 मिलियन डॉलर और लेबनानी सुरक्षा बलों को सहायता देने के लिए 200 मिलियन डॉलर की राशि शामिल हैं.
इस सहायता राशि की घोषणा के बाद बारोट ने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में हिंसा के प्रयोग की तुलना में कूटनीति अधिक प्रभावी होगी.
फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा कि हिज्बुल्लाह और इजरायल को लड़ना बंद करना चाहिए. फ्रांस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के नियम 1701 के हिसाब से दोनों देशों को बातचीत करके शांति बनानी चाहिए.
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पीएसएम/एएस
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