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प्रदोष व्यापिनी अमावस्या दो दिन, महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को: आचार्य करुणेश मिश्र

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हरिद्वार, 27 अक्टूबर . दीपावली कब मनाई जाए इसको लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. हरिद्वार स्थित श्री गंगा सभा के आचार्य करुणेश मिश्र के मुताबिक 1 नवंबर का दिन उपयुक्त है. उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का हवाला दे अपनी बात स्पष्ट की है.

आचार्य करुणेश के मुताबिक, “शास्त्रों का स्पष्ट मत है कि दीपावली 1 नवंबर को ही होनी चाहिए, क्योंकि प्रदोष व्यापिनी अमावस्या अगर दो दिन हो तो दूसरे दिन सायं काल में जो प्रदोषकाल अमावस्या होती है, उसी दिन महालक्ष्मी पूजन होता है और दिवाली होती है. इसमें कोई संशय नहीं है.”

आचार्य ने कुछ धर्म ग्रंथों का नाम ले कहा, हमारे यहां पर धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, तिथि निर्णय आदि जो ग्रंथ है उनमें भी स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि दिवाली निश्चित रूप से अगले दिन यानि प्रदोष व्यापिनी को होनी चाहिए. 1 नवंबर को हमारी वही अमावस्या है, इसलिए दीपावली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए.”

इससे पहले आध्यात्मिक गुरु पवन सिंह ने भी दिवाली 1 नवंबर को ही मनाने की सलाह दी थी. से कहा था, “इस बार लोग इस बात को लेकर काफी असमंजस में हैं कि दीपावली किस दिन मनाएं. आम तौर पर दीपावली अमावस्या को मनाई जाती है. अमावस्या 31 तारीख को अपराह्न 3:30 के आसपास पड़ेगी, लेकिन उस दिन सूर्योदय की तिथि अमावस्या में नहीं है. अगले दिन 1 नवंबर को शाम करीब 6:15 बजे तक अमावस्या है.

उन्होंने तर्क दिया, उदया तिथि अमावस्या से मेल नहीं खाती है तो आप जो चाहें करें, भगवान कभी नाराज नहीं होते. लेकिन त्यौहार का बहुत महत्व है और दीपावली के दिन का बहुत महत्व है. इसे मुहूर्त के अनुसार मनाना चाहिए. उदया तिथि 1 नवंबर को है. इसलिए दिवाली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए.

दरअसल, इस साल कार्तिक मास की अमावस्‍या 31 अक्‍टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानि 1 नवंबर की शाम सवा छह बजे तक रहेगी इसलिए अमावस्‍या तिथि दोनों दिन तक रहेगी. वैदेही, ऋषिकेश और विश्वविद्यालय पंचांग (मिथिलांचल पंचांग) के अनुसार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए.

एसएचके/केआर

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