चेन्नई, 12 जुलाई . मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और चेन्नई पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे एक याचिका पर 8 सप्ताह के भीतर फैसला लें.
इस याचिका में पुलियानथोप अखिल महिला पुलिस स्टेशन की सहायक निरीक्षक राजेश्वरी और चेन्नई पुलिस आयुक्त के नियंत्रण कक्ष की निरीक्षक अंबिका पर हाई कोर्ट के नाम का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है.
याचिकाकर्ता बाल सेंथिल मुरुगन ने इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और सजा की मांग की है. मामला तब शुरू हुआ जब बाल सेंथिल मुरुगन और उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलियानथोप पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया. सेंथिल मुरुगन ने अपनी याचिका में दावा किया कि दोनों पुलिस अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों, जैसे आईपीएस अधिकारियों और राष्ट्रीय महिला आयोग, को गलत जानकारी दी कि यह केस हाई कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया गया था. लेकिन, सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से पता चला कि हाई कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया था.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने हाई कोर्ट के नाम का गलत इस्तेमाल कर उसके खिलाफ झूठा केस बनाया. उन्होंने मांग की कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और उन्हें उचित सजा दी जाए. मामले की सुनवाई जस्टिस सी. कुमारप्पन ने की.
उन्होंने तमिलनाडु सरकार, डीजीपी और चेन्नई पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि वे याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करें और 8 सप्ताह के भीतर इस पर फैसला लें. इसके बाद याचिका का निपटारा कर दिया गया.
यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और हाई कोर्ट के नाम के दुरुपयोग जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाता है.
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एसएचके/डीकेपी
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