New Delhi, 10 अगस्त . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रॉबर्ट वाड्रा, सत्यनंद याजी, केवल सिंह विरक और कुछ कंपनियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शिकायत दाखिल की है. इसमें स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्रा. लिमिटेड (अब एसजीवाई प्रॉपर्टीज) जैसे नाम शामिल हैं.
यह मामला 1 सितंबर 2018 को गुरुग्राम के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में दर्ज First Information Report नंबर 0288 से शुरू हुआ. इसमें रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व Chief Minister भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 120-बी, 420, 467, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के तहत केस दर्ज हुआ.
ईडी का कहना है कि एसएलएचपीएल, जिसकी पूंजी बहुत कम थी, ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्रा. लिमिटेड से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी. लेकिन असल में, 15 करोड़ रुपए में सौदा हुआ था. बिक्री पत्र में गलत तरीके से चेक द्वारा भुगतान दिखाया गया, जबकि भुगतान हुआ ही नहीं. स्टांप ड्यूटी (करीब 45 लाख) बचाने के लिए गलत जानकारी दी गई.
ईडी के अनुसार, यह एक घूस की डील थी. जमीन बिना पैसे दिए एसएलएचपीएल को दी गई, ताकि वाड्रा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ओपीपीएल को लाइसेंस दिलवा सकें. बाद में एसएलपीएचएल को नियमों की अनदेखी करते हुए कमर्शियल लाइसेंस दिया गया और वह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेची गई.
ईडी ने 21 दिसंबर 2018 को पीएमएलए जांच शुरू की. First Information Report में बाद में धारा 423 आईपीसी भी जोड़ी गई (16 जनवरी 2025), जो गलत जानकारी वाले दस्तावेज बनाने से जुड़ी है. लाइसेंस के लिए 2 एकड़ जमीन चाहिए थी, लेकिन केवल 1.35 एकड़ ही उपलब्ध थी. बाकी जमीन सड़क के लिए आरक्षित थी, जिसे गलत तरीके से जोड़ा गया.
अधिकारियों ने बयान दिए कि उन पर ऊपर से दबाव था. नक्शों में तारीखों से छेड़छाड़ और बैकडेटिंग मिली. बिक्री पत्र में गलत दावा किया गया कि भुगतान चेक से हुआ, लेकिन असल में नहीं हुआ. इससे धारा 423 आईपीसी (गलत जानकारी के साथ दस्तावेज बनाना) लगाई गई.
पीएमएलए की धारा 70 के तहत, यदि कोई कंपनी अपराध करती है, तो उस समय के सभी जिम्मेदार व्यक्ति भी दोषी माने जाते हैं. इसी कारण एसएलएचपीएल, एसएलआरपीएल और ओपीपीएल के निदेशकों पर भी कार्रवाई संभव है.
रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उन्होंने कुल 58 करोड़ रुपए कमाए. 5 करोड़ रुपए मेसर्स ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के जरिए और 53 करोड़ रुपए एसएलएचपीएल के जरिए. इन पैसों से संपत्तियां खरीदी गईं, निवेश किया गया और कर्ज चुकाया गया.
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वीकेयू/एबीएम
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