विचार, कर्म और प्रवृत्ति के अनुसार तीन प्रकार के गुण प्रकृति में विद्यमान हैं, सात्विक, राजसिक एवं तामसिक गुण। जो लोग सात्विक होते हैं, उनका विचार शुद्ध एवं झुकाव या प्रवृत्ति धर्मिक कार्यों की तरफ होती है। जो लोग राजसिक होते हैं, वे सुन्दर वस्त्र एवं आभूषण धारण कर विनोदी जिन्दगी जीते हैं। जो लोग तामसिक होते हैं, वे लालची कामुक, क्रोधी एवं उनमें दूसरों को हानि पहुँचाने की प्रवृत्ति अधिक होती है। ग्रहों के सन्दर्भ में देखें तो, सूर्य, चन्द्र, गुरु, सात्विक; बुध एवं शुक्र, राजसिक तथा मंगल एवं शनि तामसिक गुण के ग्रह हैं। व्यक्ति की जन्म पत्रिका में जो ग्रह अति बलशाली होगा, व्यक्ति में उसी ग्रह की प्रवृत्ति उभर कर उसके जीवन में आती है। शनि बलवान होगा तो दुख कम होगासूर्य आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है, चन्द्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है, मंगल व्यक्ति को हिम्मत, कार्य करने की क्षमता देता है, बुध वाणी, वाक् शक्ति, बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है; गुरु ज्ञान का, शुक्र काम आनन्द का तो शनि दुःख का प्रतिनिधित्व करता है। राहु मद का अधिष्ठाता है और केतु मोक्ष की राह दिखाता है। सूर्य बलवान होगा तो व्यक्ति आत्मबली होगा, जन्मपत्री में किसी व्यक्ति का चन्द्रमा बलवान होगा, तो वह व्यक्ति मानसिक रूप से सबल होगा। इसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह के लिए समझना चाहिए, किन्तु शनि यदि बलवान होगा तो दुःख बलवान नहीं होगा, दुःख कम होगा अर्थात् शनि के विषय में उल्टा है। पूर्व जन्म के कर्मों से होता है तयजन्मकुण्डली में शनि की स्थिति मजबूत होने से अक्सर अच्छे फल मिलते हैं, जबकि कमजोर स्थिति में व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। शनि के विषय में एक सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखनी चाहिए कि शनि कर्मफल दाता हैं, इसलिए जन्मकुण्डली में शनि की स्थिति के साथ अपने कर्मों पर भी ध्यान रखना आवश्यक है। पूर्व जन्म के कर्म अनुसार इस जीवन में जन्मकुण्डली के अन्दर व्यक्ति को शनि कमजोर अथवा बलवान मिलता है, जो व्यक्ति का प्रारब्ध है, लेकिन वर्तमान क्रियमाण कर्म के द्वारा जन्मपत्री में उस ग्रह से संबंधित शुभ कर्म कर उस ग्रह को सबल बनाकर शुभ परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए शनि यदि मजबूत है, लेकिन व्यक्ति कर्मों में गलत है, तो उसे जीवन में कष्ट हो सकता है। इसी प्रकार यदि जन्मपत्री में शनि अशुभ है, लेकिन व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, तो भी वह जीवन में अपने वर्तमान कर्मफल के द्वारा काफी हद तक शुभ फल प्राप्त कर सकता है।
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