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संपादकीय: बेहतरी की ओर,चुनाव नतीजों का रिश्ते पर असर नहीं

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को विलमिंगट्न स्थित अपने निजी आवास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, वह दोनों नेताओं के बीच की पर्सनल केमिस्ट्री को ही नहीं, दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ती करीबी को भी दिखाता है। मजबूत हैं रिश्ते पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब पूरी दुनिया की नजरें अगले नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं। जनवरी तक वहां कमला हैरिस या डॉनल्ड ट्रंप में से कोई राष्ट्रपति पद पर विराजमान होंगे। लेकिन जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा, ‘जब भी हम साथ बैठते हैं, सहयोग के नए-नए क्षेत्र तलाश लेते हैं’ और यह भी कि ‘दोनों देशों के रिश्ते आज अतीत के किसी भी दौर के मुकाबले ज्यादा मजबूत हैं।’ लगातार बेहतरी दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों में निरंतर सुधार की यह प्रक्रिया यूं तो 21वीं सदी की शुरुआत से ही दिख रही है, लेकिन खासकर 2006 में हुए परमाणु ऊर्जा समझौते के बाद इसमें खासी तेजी आई। उस समय से दोनों देशों में न सिर्फ राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष बल्कि सत्तारूढ़ दल भी बदलते रहे। जहां भारत में कांग्रेस के डॉ. मनमोहन सिंह के बाद BJP के नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, वहीं अमेरिका में जॉर्ज बुश के बाद तीन अलग-अलग राष्ट्रपति- बराक ओबामा, डॉनल्ड ट्रंप और जो बाइडन- सत्ता संभाल चुके, लेकिन इस बीच दोनों देशों के रिश्ते लगातार बेहतर ही होते रहे। मोदी को लेकर उत्साह इस बार भी पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डॉनल्ड ट्रंप पीएम मोदी के अमेरिका पहुंचने से पहले ही उनसे मुलाकात की इच्छा जता चुके हैं। यह इस बात का संकेत है कि भारतीय प्रधानमंत्री में वहां के नागरिकों और वोटरों की भी खासी दिलचस्पी है। हालांकि भारत की तरफ से अभी तक इस मुलाकात की संभावना पर कुछ नहीं कहा गया है। वजह यह है कि चुनाव से पहले किसी खास दल के प्रत्याशी से पीएम मोदी की मुलाकात के गलत संकेत जा सकते हैं। और इस बात की गुंजाइश नहीं लग रही कि रिपब्लिकन और डेमोक्रैट दोनों प्रत्याशियों से पीएम मोदी की मुलाकात का मौका बन पाएगा। रिश्तों का उज्ज्वल भविष्यबहरहाल, यूक्रेन युद्ध पर भारत का संतुलित रुख, क्वॉड के मंच की लगातार मजबूत होती भूमिका, चीनी आक्रामकता पर अंकुश लगाने की साझा जरूरत जैसी बातों से भी जाहिर होता है कि छोटे-मोटे तात्कालिक विवाद भले उपजते और हल होते रहें, भारत और अमेरिका के आपसी रिश्ते आने वाले समय में और बेहतर होने वाले हैं।
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