पटना: बिहार की राजनीत में नीतीश कुमार को सफलता और सत्ता की निरंतरता हासिल हुई तो उसके पीछे सबसे बड़े दो कारण है। पहला जंगलराज का खात्मा और दूसरा आधी आबादी की तरफदारी। ये दो कार्ड ऐसे थे जिसके सहारे बिहार की जातीय जकड़न के विरुद्ध लाभान्वितों का एक बड़ा वर्ग तैयार हुआ। एक वह जो शांति से जीना चाहता था और दूसरी थी आधी आबादी, जिसे नीतीश कुमार ने पंख दिए वह भी भरपूर उड़ान के साथ। नीतीश और आधी आबादी का वोट कनेक्शनसत्ता की राजनीति की बागडोर थामने के बाद स्थिरता की तलाश का पहला कदम नीतीश कुमार ने 2005 में ही रख दिया था। लेकिन थोड़े से अंतराल के बाद नीतीश कुमार वर्ग की राजनीत का दांव खेल जाते और अपनाी यूएसपी के साथ साथ फॉलोवर भी बढ़ाते रहे। जानते है कि क्या था नीतीश कुमार का वो फैसला, जिसने आधी आबादी को उनके पक्ष में कर दिया। साल 2006 और साइकिल योजनायह नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक था। उन्होंने 2006 में मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना शुरू की। इस योजना के बाद लड़कियों में स्कूल जाने की ललक जागी और वैसी लड़कियों ने भी स्कूल की राह पकड़ी जिनके घर से स्कूल दूर था। नतीजतन घर से लड़कियां स्कूल के लिए निकलने लगी। इससे ऐतिहासिक उपलब्धि स्कूलों को हासिल हुई । जो स्कूल छात्राओं के अभाव में खाली-खाली थे वही छात्राओं से भर गए। बात यही नहीं रूकी। अमेरिका से अफ्रीका तक ने माना नीतीश का लोहाइस योजना को पूरे देश में सम्मान तो मिला ही अफ्रीकी देशों में बिहार की साइकिल योजना लागू हुई।। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने इसके लिए जांबिया और माली का चयन किया। यूएनओ ने इसके लिए इन देशों को आर्थिक सहयोग भी दिया। दरअसल जब साइकिल योजना लागू हुई तो अमेरिका के एक शिक्षाविद् और वहां के प्रोफेसर बिहार आए थे। उन्होंने यहां नीतीश सरकार की साइकिल योजना को देखा और उसका जमीनी अध्ययन किया। अमेरिकी प्रोफेसर को भा गया नीतीश का प्लानउन्होंने देखा कि कैसे इस योजना ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था का परिदृश्य बदल गया । बड़ी संख्या में लड़कियां सरकारी विद्यालयों तक पहुंची। वे शिक्षा से जुड़ीं और विद्यालयों में उनकी संख्या लड़कों के बराबर पहुंच गई। इसके बाद अमेरिकी प्रोफेसर ने अपनी रिपोर्ट यूएनओ को सौंपी। यूएनओ के विशेषज्ञों ने अपने स्तर से उस रिपोर्ट का अध्ययन किया और उसे काफी सकारात्मक रूप में लिया। यूएनओ ने इसे अफ्रीकी देशों के लिए बेहद उपयोगी माना। उसने जांबिया और माली को रिपोर्ट भेजकर उसे उनके यहां लागू कराया। 2006 में दिया महिला आरक्षणयह साल 2006 था जब नीतीश कुमार ने आधी आबादी को टारगेट करते 2006 के बाद महिलाओं को पंचायती राज व्यवस्था और नगर निकाय के चुनाव में 50 प्रतिशत की भागीदारी दी। इससे बड़े पैमाने पर महिलाएं घरों से निकल कर समाज में आत्मनिर्भर हुई हैं। इन सब वजहों से महिलाओं का सम्मान समाज और परिवार में काफी बढ़ा भी। 2011 में दी पोशाक योजनाशिक्षा के प्रति छात्राओं को प्रोत्साहित करने के मकसद से राज्य में बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना की शुरुआत 2011 में नीतीश कुमार ने की। इसका भी असर स्कूलों के नामांकन पर दिखा। जहां छात्राओं का एडमिशन 33 फीसदी रहा करता था, वो इन योजनाओं को लागू करने के बाद 97 फीसदी तक जा पहुंचा। नौवीं से 12वीं तक की छात्राओं के लिए इस योजना की शुरुआत सत्र 2011-12 में की गयी थी। शुरुआत में नौवीं से 12वीं कक्षा की छात्राओं को हजार रुपये प्रतिवर्ष की राशि दी जाती थी। 2018-19 में इसे बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया गया। ़ 2016 में महिलाओं को नौकरी में आरक्षणसाल 2016 में नीतीश कुमार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में संख्या बढ़ाने के लिए आरक्षण देने का फैसला किया। बिहार मंत्रिमंडल की बैठक में मिली सहमति के बाद सरकार ने सभी नौकरियों के सभी पदों पर सीधी भर्ती में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दे कर परिवर्तन की आंधी बहा दी। सरकार ने आरक्षित और गैर आरक्षित श्रेणी में भी महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय कर ऐतिहासिक फैसला कर डाला। 2016 में शराबबंदीमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजिक सुधार और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा काम शराबबंदी का किया। यह कोई नीतीश कुमार का ऑरिजिनल चिंतन नहीं था। बल्कि यह दृष्टि उन स्त्रियों ने दी जो पियक्कड़ पतियों या पिताओं से बुरी तरह प्रताड़ित थीं। इसे देखते हुए बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया कर आधी आबादी का विश्वास और ज्यादा हासिल कर लिया। 2025 में नीतीश कुमार का बड़ा दांव बिहार विधानसभा चुनाव 2025 दो कारणों से महत्वपूर्ण है। पहला तो यह नीतीश का अंतिम चुनाव दिखता है और दूसरा बड़ा कारण उनकी इस इच्छा का है जो अपने पुराने वैभव यानी साल 2010 में हासिल 115 सीट से ज्यादा पाने का है। इस बड़े सपने के लिए नीतीश कुमार ने फिर से आधी आबादी पर भरोसा कर महिला संवाद कार्यक्रम को शुरू किया। कोशिश यह है कि आधी आबादी ने 2010 की तरह साथ दे दिया तो 2025 में भी चुनावी लक्ष्य आराम से हासिल हो जाए। हालांकि तेजस्वी ने इसके पहले माई बहिन सम्मान योजना का ऐलान किया। लेकिन ये भी सच है कि इस मामले में आधी आबादी को नीतीश पर ज्यादा भरोसा दिखता है। खैर, अब यह तो समय के गर्भ में है कि इस बार महिला वोट तेजस्वी अपने पक्ष में कर पाएंगे या फिर से उन्हें नीतीश के सामने मुंह की खानी पड़ेगी।
You may also like
IPL 2025: दिल्ली कैपिटल्स ने गुजरात टाइटंस को जीत के लिए दिया 204 रनों का लक्ष्य, कृष्णा ने गेंद से मचाया धमाल
मां इतनी बेरहम कैसे?, अफेयर में करवा दी 14 साल के बेटे की हत्या, 1 दिन पेड़ से लटकी रही लाश ⑅
क्या आपने देखा Prasidh Krishna का सनसनाता यॉर्कर? KL Rahul के तो उड़ गए थे तोते; देखें VIDEO
आशिकी के चक्कर में 17 साल की लड़की गई थी बहक, मां ने सुनाई कहानी तो पसीज गया पुलिस का कठोर दिल ⑅
इंडियन टीम ने निकाला तो सीधा KKR में एंट्री, अभिषेक नायर बने KKR के असिस्टेंट कोच