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आखिरी बार पापा की बात न मानने का अफसोस है, उनके जाने के बाद जिंदगी ने वक्त से पहले बड़ा बना दिया- शिवम खजुरिया

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‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ और ‘अनुपमा’ जैसे पॉपुलर शो के अभिनेता शिवम खजुरिया की प्रोफेशनल लाइफ तो शानदार रही। लेकिन पर्सनल लाइफ में उन्हें कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। मात्र 18 वर्ष की उम्र में पापा को खो देने के बाद शिवम की जिंदगी बदल गई। देहरादून की बेफिक्र कॉलेज लाइफ एक झटके में समझदारी में बदल गई।

शिवम मुंबई में सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब करने आए थे। लेकिन यहां एक्टिंग की दुनिया उनका इंतजार कर रही थी। ‘संडे स्टार’ में पढ़िए एक्टर शिवम खजुरिया की सक्सेस स्टोरी।
पापा ने मेरी हर ख्वाहिश पूरी की image

मेरा जन्म जम्मू में हुआ। जम्मू-कश्मीर में बचपन बीता। पापा क्लास वन ऑफिसर थे। जहां उनका ट्रांसफर होता हम वहीं उनके साथ चले जाते। इस वजह से मुझे देश के कई शहरों में रहने का मौका मिला। स्कूलिंग दिल्ली पब्लिक स्कूल जम्मू से हुई। मैं स्कूल-कॉलेज में डांस-ड्रामा में हमेशा हिस्सा लेता था। मेरे परफॉर्मेंस की तारीफ भी होती थी। लेकिन तब तक मैंने एक्टिंग में करियर के बारे में नहीं सोचा था।




मेरी दोनों बड़ी बहनें मुझसे 12-14 साल बड़ी हैं। मैं घर में सबसे छोटा और सबसे शरारती था। घर में किसी तरह की रोक-टोक नहीं थी। पापा मेरी पसंद की हर चीज लाकर देते थे। मेरी मां ऋषिकेश से हैं। जब पापा रिटायर हुए तो हमारी फैमिली ऋषिकेश में सैटल हो गई। मेरी दोनों बहनों की ससुराल भी नजदीक ही है। एक देहरादून में रहती हैं और दूसरी रुड़की में।


पापा मेरा बर्थडे सेलिब्रेट करना चाहते थे image

12वीं के बाद मैंने देहरादून के यूपीएस कॉलेज में जियो साइंस इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। वीकेंड पर मैं अपनी फैमिली से मिलने ऋषिकेश जाता था। वहां मेरे अच्छे दोस्त बन गए। मेरे पापा हार्ट पेशंट थे। इसके लिए उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट भी होना पड़ता था। लेकिन हर बार वो ठीक होकर घर आ जाते थे।



उस साल मैं अपने कॉलेज के फर्स्ट ईयर में था। 24 अक्टूबर को मेरा जन्मदिन था। वो मेरा 18वां जन्मदिन था। मैं 23 की रात घर आया। अपने परिवार से मिला। हमेशा की तरह दोस्तों को पार्टी देने के लिए पापा से पैसे मांगे।



पापा ने मुझे कभी किसी चीज के लिए नहीं रोका। उस रात पहली बार उन्होंने मुझे रोका। पापा ने कहा, “कल का बर्थडे मेरे साथ मना लो।” मैं दोस्तों से पार्टी के लिए प्रॉमिस कर चुका था। मैंने पापा की बात नहीं मानी।


काश, मैं उस रात घर रुक जाता image

मैंने पापा से कहा, कल नहीं, कल मुझे दोस्तों के साथ बर्थडे सेलिब्रेट करना है। मैं 2-3 दिन में घर आऊंगा। फिर आपके साथ बर्थडे सेलिब्रेट करूंगा। मैं 23 की रात वापस देहरादून चला गया और 26 तारीख को पापा हमें छोड़कर चले गए।



26 अक्टूबर को मेरे अंकल ने फोन पर बताया कि पापा को हार्ट अटैक आया है और वो हॉस्पिटल में हैं। ये खबर सुनकर मैं तुरंत देहरादून से घर के लिए निकल पड़ा।



आमतौर पर मैं अपनी बाइक से लगभग एक घंटे में देहरादून से ऋषिकेश पहुंचता था। लेकिन उस दिन मैंने ये दूरी आधे घंटे में पूरी की। मुझे पापा से मिले 15-20 मिनट ही हुए थे कि उनकी सांसें रुक गईं। मुझे हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि काश, उस रात मैंने पापा की बात मान ली होती। अपना बर्थडे उनके साथ सेलिब्रेट किया होता।


पापा के जाने के बाद जिंदगी बदल गई image

उस दिन से मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। वक्त ने जैसे एक झटके में मुझे बड़ा बना दिया। मेरी शरारतें समझदारी में बदल गईं। अचानक मुझे महसूस हुआ कि अब मुझे घर का गार्जियन बनना है।



कुछ नुकसान ऐसे होते हैं जिनकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। पापा के जाने के बाद मेरी जिंदगी फिर कभी पहले जैसी नहीं रह पाई। मैं पढ़ाई में हमेशा से अच्छा था, लेकिन पापा के जाने के बाद मेरा पढ़ाई पर से मन उठ गया। मैंने जैसे तैसे अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।


पहली जॉब मुंबई में मिली image

इंजीनियरिंग कॉलेज के कैंपस प्लेसमेंट में मुझे ठाणे, मुंबई की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब मिली। मैं जॉब जॉइन करने मुंबई चला आया। मुंबई आकर एक्टिंग में करियर बनाने की मेरी दबी हुई इच्छा जाग गई। जॉब के तीन महीने के प्रोबेशन पीरियड में ही मॉडलिंग शुरू कर दी। मुझे मॉडलिंग के अच्छे खासे पैसे मिलने लगे थे इसलिए मैंने जॉब छोड़ दी।


मुंबई ने मेरी किस्मत बदली image

मुंबई शहर ने मेरे सपने पूरे किए। मुझे वो सब कुछ दिया जिसकी मैंने कभी कल्पना की थी। मॉडलिंग के बाद मुझे एक के बाद एक टीवी शो मिलते गए। ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ और ‘अनुपमा’ जैसे पॉपुलर शो का हिस्सा बनकर मुझे एक नई पहचान मिली।



अब तो मैं शादी के सपने भी देखने लगा हूं। मेरी गर्लफ्रेंड हमारी इंडस्ट्री से नहीं है। लेकिन उसके मेरी जिंदगी में आने से अब सब कुछ अच्छा लगने लगा है। आज भी हर दिन सोचता हूं, काश! पापा इस समय हमारे साथ होते। लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि उनका अशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है।

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