नई दिल्ली: दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर भारत ने चीन को सीधा जवाब दिया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ कहा है कि अपना अगला उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार सिर्फ दलाई लामा को है। किसी और को इस बारे में बोलने का हक नहीं है। दलाई लामा ने खुद कहा है कि उनकी संस्था आगे भी जारी रहेगी। गादेन फोड्रंग ट्रस्ट को ही उनके अगले अवतार को चुनने का अधिकार होगा। रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा बौद्ध धर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'दलाई लामा सिर्फ तिब्बतियों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में उनके लाखों अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनके उत्तराधिकारी का फैसला सिर्फ दलाई लामा ही कर सकते हैं।'
'उत्तराधिकारी चुनने में किसी को दखल का अधिकार नहीं'
उन्होंने आगे कहा, 'जो लोग दलाई लामा को मानते हैं, वे यही चाहते हैं कि उत्तराधिकारी का चुनाव पुरानी परंपराओं और दलाई लामा की इच्छा के अनुसार ही हो। किसी और को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है।' भारत का यह बयान चीन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें चीन ने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने का अधिकार सिर्फ चीन की सरकार को है।
दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने में चीन लगा रहा अड़ंगा
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने AFP न्यूज एजेंसी से कहा था, 'दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य बड़े बौद्ध गुरुओं के पुनर्जन्म को 'गोल्डन अर्न' से लॉटरी निकालकर चुना जाना चाहिए, और इसे केंद्र सरकार से मंजूरी मिलनी चाहिए।' 'गोल्डन अर्न' एक तरह का स्वर्ण कलश होता है, जिससे पर्ची निकालकर उत्तराधिकारी का नाम तय किया जाता है।
6 जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन में शामिल होंगे रिजिजू
रिजिजू खुद भी बौद्ध धर्म को मानते हैं। वे 6 जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के समारोह में शामिल होंगे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन भी होंगे, जो भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। 14वें दलाई लामा तिब्बतियों और नालंदा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़े धर्म गुरु हैं। वे उनके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। इस पूरे मामले में भारत का रुख साफ है। भारत मानता है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार सिर्फ दलाई लामा और उनकी संस्था को है। चीन का इस मामले में दखल देना गलत है। भारत दलाई लामा के साथ खड़ा है और उनके फैसले का समर्थन करता है।
'उत्तराधिकारी चुनने में किसी को दखल का अधिकार नहीं'
उन्होंने आगे कहा, 'जो लोग दलाई लामा को मानते हैं, वे यही चाहते हैं कि उत्तराधिकारी का चुनाव पुरानी परंपराओं और दलाई लामा की इच्छा के अनुसार ही हो। किसी और को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है।' भारत का यह बयान चीन के उस बयान के बाद आया है, जिसमें चीन ने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने का अधिकार सिर्फ चीन की सरकार को है।
दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुनने में चीन लगा रहा अड़ंगा
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने AFP न्यूज एजेंसी से कहा था, 'दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य बड़े बौद्ध गुरुओं के पुनर्जन्म को 'गोल्डन अर्न' से लॉटरी निकालकर चुना जाना चाहिए, और इसे केंद्र सरकार से मंजूरी मिलनी चाहिए।' 'गोल्डन अर्न' एक तरह का स्वर्ण कलश होता है, जिससे पर्ची निकालकर उत्तराधिकारी का नाम तय किया जाता है।
6 जुलाई को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन में शामिल होंगे रिजिजू
रिजिजू खुद भी बौद्ध धर्म को मानते हैं। वे 6 जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के समारोह में शामिल होंगे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन भी होंगे, जो भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। 14वें दलाई लामा तिब्बतियों और नालंदा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़े धर्म गुरु हैं। वे उनके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। इस पूरे मामले में भारत का रुख साफ है। भारत मानता है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार सिर्फ दलाई लामा और उनकी संस्था को है। चीन का इस मामले में दखल देना गलत है। भारत दलाई लामा के साथ खड़ा है और उनके फैसले का समर्थन करता है।
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