माता लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी क्यों मानी जाती हैं अशुभ

भागवत पुराण के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच में समुद्रमंथन किया गया था, तो देवी लक्ष्मी से पहले एक और देवी प्रकट हुई थीं। इस देवी के हाथ में मदिरा थी। समुद्र से निकलने के कारण ही इन्हें माता लक्ष्मी की बड़ी बहन माना जाता है। इन्हें अलक्ष्मी और ज्येष्ठा दोनों नामों से जाना जाता है। अस्त-व्यस्त और मलीन रहने के कारण इन्हें अलक्ष्मी नाम दिया गया। हालांकि, दरिद्रता की देवी होने के कारण इन्हें समुद्रमंथन से निकले 14 रत्नों में नहीं गिना जाता।
माता लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी की पूजा क्यों नहीं की जाती

भागवत पुराण सहित कई पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि माता लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी का विवाह उद्दालक मुनि के साथ हुआ था। उद्दालक मुनि जब देवी अलक्ष्मी के साथ विवाह करके उन्हें घर लाए, तो आश्रम में स्वच्छता देखकर देवी अलक्ष्मी ने अपना परिचय देते हुए अपनी पसंद बताई। देवी अलक्ष्मी ने कहा- "हे मुनिवर! मैं यहां निवास नहीं कर सकती। मैं केवल उसी घर में प्रवेश करती हूं, जहां अस्वच्छता हो और जहां घर के लोगों के बीच हमेशा झगड़े होते हैं। स्वच्छ और सुंदर घरों में देवी लक्ष्मी का वास होता है।"
देवी अलक्ष्मी को तीखी और खट्टी चीजें हैं सबसे ज्यादा प्रिय

जिस तरह देवी लक्ष्मी को मीठी चीजें जैसे खीर, बर्फी, मेवे, नारियल आदि मीठी चीजें प्रिय हैं। उसी तरह देवी अलक्ष्मी को तीखी और खट्टी चीजें पसंद आती हैं। यही कारण है कि सुबह के समय या शुभ कार्यों में तीखी या खट्टी चीजें नहीं खाई जातीं। शुभ कार्यों की शुरुआत जैसे, किसी नए व्यापार की शुरुआत करने से पहले मीठी चीजों का भोग लगाया जाता है।
देवी अलक्ष्मी का प्रवेश घर में रोकने के लिए दरवाजे पर लटकाते हैं नींबू-मिर्च
देवी अलक्ष्मी को घर से दूर रखने के लिए घर की रोजाना साफ-सफाई बहुत जरूरी है। साथ ही जहां देवी लक्ष्मी का निवास होता है वहां पर अलक्ष्मी नहीं जा सकतीं। इसी कारण से देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए शाम के समय दरवाजे पर दीए जलाए जाते हैं। जबकि देवी लक्ष्मी की पसंद तीखी और खट्टी चीजों को ध्यान में रखते हुए घर, व्यापार आदि जगहों के दरवाजे पर नींबू और मिर्च लटाते हैं, जिससे कि देवी अलक्ष्मी बाहर से ही भोजन ग्रहण करके अपनी नकारात्मक को लेकर बाहर से ही चलीं जाए। इस उपाय से बुरी नजर का साया भी घर से बाहर ही रहता है।
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