देहरादून: उत्तरकाशी में बादल फटने से घायल हुए 11 लोगों को उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, बाद में उन्हें ऋषिकेश एम्स में रेफर कर दिया गया है। अस्पताल में भर्ती मरीजों और डॉक्टरों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत की। मरीजों ने जहां अपने साथ हुए आपबीती बताई, तो वहीं डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि उनके पास हर प्रकार की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में चिकित्सकीय संसाधन उपलब्ध हैं।
डॉ. पीएस पोखरियाल ने बताया कि हमारे पास 11 लोग घायल अवस्था में आए थे, जिनमें से तीन को ऋषिकेश एम्स में रेफर कर दिया गया था और बाकी के उपाचाराधीन मरीजों की हालत अभी स्थिर है। हमारे पास मौजूदा समय में 45 बेड रिजर्व हैं। अगर किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति पैदा होगी, तो हमारी चिकित्सकीय टीम उस स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, हमारी टीम प्रशासन के संपर्क में लगातार बनी हुई है। अगर किसी मरीज को कोई दिक्कत होगी, तो हमारी टीम तत्काल उसे चिकित्सकीय सहायता देने की क्षमता रखती है।
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अचानक धमाके की आवाज आई: मरीज अमरदीप सिंहइस त्रासदी में घायल हुए मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए। मरीज अमरदीप सिंह ने बताया कि मैं अपने कैंप में लेटा हुआ था। अचानक से ही धमाके की आवाज आई। मुझे लगा कि आर्मी की ओर से कोई शूटिंग की गई होगी, क्योंकि आमतौर पर आर्मी की ओर से इस तरह की शूटिंग की जाती है। लेकिन, जब मैं बाहर निकला, तो पता लगा कि यह बादल फटने की आवाज थी। हम लोग बहुत मुश्किल से भागकर अपनी जान बचा पाने में सफल हुए। वह बहुत ही भयावह मंजर था। हमारे जवानों ने पूरी कोशिश की कि सभी को बचाया जाए।
हमने कई लोगों को बचाया: मरीज गोपालएक अन्य मरीज गोपाल ने बताया कि मैं यहीं का रहने वाला हूं। मैं आर्मी के साथ काम करता हूं। हम कुछ लोग वहीं थे, जब बादल फटा था। हमने कई लोगों को रेस्क्यू किया। इस दौरान कई लोग बह भी गए। जिसमें से कुछ लोग दिख रहे थे। लेकिन, अब कई लोग नहीं दिख पा रहे हैं। हमें तो खुद के बारे में नहीं पता है कि हम लोग कैसे बचे। धराली में बादल फटने से गांव के लोग ज्यादा दब गए। कई लोगों के सामान इस हादसे में बह गए। बाकी हमें इस हादसे के बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं है।
डॉ. पीएस पोखरियाल ने बताया कि हमारे पास 11 लोग घायल अवस्था में आए थे, जिनमें से तीन को ऋषिकेश एम्स में रेफर कर दिया गया था और बाकी के उपाचाराधीन मरीजों की हालत अभी स्थिर है। हमारे पास मौजूदा समय में 45 बेड रिजर्व हैं। अगर किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति पैदा होगी, तो हमारी चिकित्सकीय टीम उस स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा, हमारी टीम प्रशासन के संपर्क में लगातार बनी हुई है। अगर किसी मरीज को कोई दिक्कत होगी, तो हमारी टीम तत्काल उसे चिकित्सकीय सहायता देने की क्षमता रखती है।
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अचानक धमाके की आवाज आई: मरीज अमरदीप सिंहइस त्रासदी में घायल हुए मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए। मरीज अमरदीप सिंह ने बताया कि मैं अपने कैंप में लेटा हुआ था। अचानक से ही धमाके की आवाज आई। मुझे लगा कि आर्मी की ओर से कोई शूटिंग की गई होगी, क्योंकि आमतौर पर आर्मी की ओर से इस तरह की शूटिंग की जाती है। लेकिन, जब मैं बाहर निकला, तो पता लगा कि यह बादल फटने की आवाज थी। हम लोग बहुत मुश्किल से भागकर अपनी जान बचा पाने में सफल हुए। वह बहुत ही भयावह मंजर था। हमारे जवानों ने पूरी कोशिश की कि सभी को बचाया जाए।
हमने कई लोगों को बचाया: मरीज गोपालएक अन्य मरीज गोपाल ने बताया कि मैं यहीं का रहने वाला हूं। मैं आर्मी के साथ काम करता हूं। हम कुछ लोग वहीं थे, जब बादल फटा था। हमने कई लोगों को रेस्क्यू किया। इस दौरान कई लोग बह भी गए। जिसमें से कुछ लोग दिख रहे थे। लेकिन, अब कई लोग नहीं दिख पा रहे हैं। हमें तो खुद के बारे में नहीं पता है कि हम लोग कैसे बचे। धराली में बादल फटने से गांव के लोग ज्यादा दब गए। कई लोगों के सामान इस हादसे में बह गए। बाकी हमें इस हादसे के बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं है।
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