अगुम्बे..दक्षिण भारत वेस्टर्न घाट में बसा एक छोटा सा सुंदर गांव। महज 3 वर्ग किलोमीटर में फैले कर्नाटक के इस गांव की आबादी बमुश्किल 600 ही है। लेकिन पूरी दुनिया में यह पहचान बना चुका है। जानते हैं क्यों? किंग कोबरा, जी हां यहां इतने ज्यादा किंग कोबरा हैं कि इसे भारत में सांपों की राजधानी (Snake Capital of India) भी कहा जाता है।
यहां किंग कोबरा का राज चलता है। मगर एक शख्स है जो किंग कोबरा के घर में रहते हुए उन्हीं के परिवार का एक सदस्य सा बन गया है। साहस इतना कि जिन किंग कोबरा को सपने में देखकर भी शरीर कांप उठता है, यह शख्स उनके शरीर में माइक्रोचिप फिट करने में लगा हुआ है। अजय वी. गिरी महज 15 साल के थे, जब उन्होंने खतरनाक सांपों का रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी उठा ली। अभी वह अगुम्बे वर्षावन रिसर्च सेंटर (ARRS) में फील्ड डायरेक्टर हैं। सांपों पर रिसर्च करने के साथ वह सांपों और इंसानों के बीच डर के माहौल को भी कम करने में लगे हैं।
पहले ही प्रोजेक्ट में किंग कोबरा से सामनाअजय 2009 में ARRS से जुड़ गए और अपने सपने को पूरा करने में लग गए। अपने पहले ही प्रोजेक्ट में उन्हें किंग कोबरा के शरीर में एक चिप साइज का ट्रांसमीटर लगाना था। इस ट्रांसमीटर का उद्देश्य किंग कोबरा की लाइफ के राज का पता लगाना था। दुनिया में अन्य वन्यजीवों के शरीर में जरूर ट्रांसमीटर फिट गए हैं, लेकिन यह पहला मौका था जब जहरीले किंग कोबरा के शरीर में इस चिप को लगाना था।
खुले चौंकाने वाले राजइन ट्रांसमीटर की वजह से किंग कोबरा की जिंदगी के कई ऐसे राज खुले, जिनके बारे में सोचा भी नहीं गया था। एक नर किंग कोबरा अपनी ही प्रजाति की मादा कोबरा को मारकर खा गया। मादा कोबरा में ट्रांसमीटर फिट था, जिससे यह पता चल सका कि किंग कोबरा अपनी ही प्रजाति को भी खा जाते हैं। अजय अभी सिर्फ सांपों को बचाने का ही काम नहीं कर रहे बल्कि इंसानों और सांपों के बीच संघर्ष को कम करने और किंग कोबरा की जनसंख्या बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं।
आज है विश्व सर्प दिवसआज 16 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व सर्प दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सांपों की खूबसूरत और अद्भुत दुनिया को सेलिब्रेट करने के लिए खासतौर से मनाया जाता है। दुनिया में 3000 से भी ज्यादा सांपों की प्रजाति है जबकि सिर्फ 600 ही जहरीले होते हैं।
अगुम्बे: कोबरा की राजधानीकर्नाटक का अगुम्बे गांव अपने घने जंगलों के लिए मशहूर है। इसे दक्षिण भारत का 'चेरापूंजी' भी कहा जाता है क्योंकि यहां बारिश बहुत ज्यादा होती है। इसके साथ ही यहां सांपों की तादाद भी बहुत ज्यादा है। हालांकि सटीक नंबर का अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन यहां किंग कोबरा से सामना बहुत ही आम बात है। इसी वजह से इसे भारत में सांपों की राजधानी भी कहा जाता है।
घर में सांप निकले तो अजय को कॉलअगुम्बे में सांप निकलने पर पहले अफरातफरी मच जाती थी। इस वजह से कई बार सांपों को मार भी दिया जाता था, लेकिन अजय ने लगातार लोगों को शिक्षित किया और समझाया कि वे बस दूर रहें और उन्हें कॉल करें। अब अगर किसी के घर में सांप निकलता है तो लोग सीधे अजय को कॉल करते हैं।
यहां किंग कोबरा का राज चलता है। मगर एक शख्स है जो किंग कोबरा के घर में रहते हुए उन्हीं के परिवार का एक सदस्य सा बन गया है। साहस इतना कि जिन किंग कोबरा को सपने में देखकर भी शरीर कांप उठता है, यह शख्स उनके शरीर में माइक्रोचिप फिट करने में लगा हुआ है। अजय वी. गिरी महज 15 साल के थे, जब उन्होंने खतरनाक सांपों का रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी उठा ली। अभी वह अगुम्बे वर्षावन रिसर्च सेंटर (ARRS) में फील्ड डायरेक्टर हैं। सांपों पर रिसर्च करने के साथ वह सांपों और इंसानों के बीच डर के माहौल को भी कम करने में लगे हैं।
पहले ही प्रोजेक्ट में किंग कोबरा से सामनाअजय 2009 में ARRS से जुड़ गए और अपने सपने को पूरा करने में लग गए। अपने पहले ही प्रोजेक्ट में उन्हें किंग कोबरा के शरीर में एक चिप साइज का ट्रांसमीटर लगाना था। इस ट्रांसमीटर का उद्देश्य किंग कोबरा की लाइफ के राज का पता लगाना था। दुनिया में अन्य वन्यजीवों के शरीर में जरूर ट्रांसमीटर फिट गए हैं, लेकिन यह पहला मौका था जब जहरीले किंग कोबरा के शरीर में इस चिप को लगाना था।
खुले चौंकाने वाले राजइन ट्रांसमीटर की वजह से किंग कोबरा की जिंदगी के कई ऐसे राज खुले, जिनके बारे में सोचा भी नहीं गया था। एक नर किंग कोबरा अपनी ही प्रजाति की मादा कोबरा को मारकर खा गया। मादा कोबरा में ट्रांसमीटर फिट था, जिससे यह पता चल सका कि किंग कोबरा अपनी ही प्रजाति को भी खा जाते हैं। अजय अभी सिर्फ सांपों को बचाने का ही काम नहीं कर रहे बल्कि इंसानों और सांपों के बीच संघर्ष को कम करने और किंग कोबरा की जनसंख्या बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं।
आज है विश्व सर्प दिवसआज 16 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व सर्प दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सांपों की खूबसूरत और अद्भुत दुनिया को सेलिब्रेट करने के लिए खासतौर से मनाया जाता है। दुनिया में 3000 से भी ज्यादा सांपों की प्रजाति है जबकि सिर्फ 600 ही जहरीले होते हैं।
अगुम्बे: कोबरा की राजधानीकर्नाटक का अगुम्बे गांव अपने घने जंगलों के लिए मशहूर है। इसे दक्षिण भारत का 'चेरापूंजी' भी कहा जाता है क्योंकि यहां बारिश बहुत ज्यादा होती है। इसके साथ ही यहां सांपों की तादाद भी बहुत ज्यादा है। हालांकि सटीक नंबर का अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन यहां किंग कोबरा से सामना बहुत ही आम बात है। इसी वजह से इसे भारत में सांपों की राजधानी भी कहा जाता है।
घर में सांप निकले तो अजय को कॉलअगुम्बे में सांप निकलने पर पहले अफरातफरी मच जाती थी। इस वजह से कई बार सांपों को मार भी दिया जाता था, लेकिन अजय ने लगातार लोगों को शिक्षित किया और समझाया कि वे बस दूर रहें और उन्हें कॉल करें। अब अगर किसी के घर में सांप निकलता है तो लोग सीधे अजय को कॉल करते हैं।
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